पूर्ण बहुमत की सरकार,जनता है परेशान–पोस्टमार्टम हाउस का : कब खुलेगा ताला ?

- रिपोर्ट: चन्दन दुबे
मिर्ज़ापुर: “सांसद के संसदीय क्षेत्र में वह भी तब जब राज्य स्वास्थ्य मंत्री होने के बाद भी जिला में जनता परेशान , मिर्जापुर चुनार पोस्टमार्टम हाउस पर क्यों है ताला! आखिर कब मिलेगी जनता को राहत?”
मिर्जापुर/चुनार: सबका साथ, सबका विकास” का नारा देने वाली सरकार जब जनता की मूलभूत जरूरतों पर ही ताला लगा दे, तो सवाल उठना लाजमी है। जिस पोस्टमार्टम हाउस को जनता के लिए राहत बनना था, वह खुद प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो गया है। चुनार का पोस्टमार्टम हाउस ना जाने क्यों महीनों से बंद पड़ा है, और प्रशासन इस पर रहस्यमयी चुप्पी साधे हुए है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार में अपना दल के सहयोगी दल से जब केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के खुद के संसदीय क्षेत्र मिर्जापुर से वह सांसद हैं, तो फिर चुनार के लोगों को इस बुनियादी सुविधा के लिए इतना संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है? यह कैसी विंडम्बना है आखिर ये लापरवाही है, या सब कुछ जानते हुए अनदेखी का दिखावा?
जनता परेशान, प्रशासन कैसे है बेखबर!
तहसील क्षेत्र के लोगों को शवों का पोस्टमार्टम कराने के लिए 30-40 किलोमीटर दूर मिर्जापुर जाना पड़ रहा है। इससे न केवल उन्हें मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि शवों को समय पर अंतिम संस्कार के लिए घर लाने में भी देरी हो रही है। जनता की मांग स्पष्ट है— की चुनार पोस्टमार्टम हाउस को तत्काल प्रभाव से चालू किया जाए। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया जा रहा है। सवाल यह है कि आखिर इस लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा?
राजनीति और खोखले वादे
जनता की इस परेशानी को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता रामराज सिंह पटेल के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपा। और तंज कसते हुए कहा था कि, सत्ता पक्ष के चुनार विधायक अनुराग सिंह पटेल ने कहा था कि वे अपनी विधायक निधि से पोस्टमार्टम हाउस के लिए आवश्यक संसाधन, कंप्यूटर आदि की व्यवस्था करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि जब जनता की मांग इतनी पुरानी हो चुकी है, तो अब तक इस पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? वही जब
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुकी हैं और आश्वासन दे चुकी हैं कि चुनार में पोस्टमार्टम हाउस जल्द चालू होगा।तो अब तक पूर्ण बहुमत की सरकार और कानून के सख्त निर्देशों की पालन करने वाली मशीनरी की सरकारी तंत्र सुस्त क्यों है। जन सुविधाओं पर वादा कर कर सत्ता की मलाई चखने वालों ने ना जाने अब तक यह वादा हकीकत क्यों नहीं पूरे किए है। और इसके पीछे क्या मंशा है यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल हम अपनी पार्टी के तरफ से जल्द ही इस मुद्दे को लेकर जनहित पर संसद भवन व विधान सभा में भी चर्चा उठाएंगे।
सोचने वाली बात क्या सरकार और प्रशासन सो रहा हैं?
पोस्टमार्टम हाउस बंद होने व प्रशासन की अनदेखी के कारण जनता को आर्थिक और मानसिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे, लेकिन जमीन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं। क्या यही जनहित के पारदर्शी राजनीति है। स्वास्थ्य मंत्री होते हुए भी स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल, आखिर इसका जिम्मेदार कौन लेगा? यह सवाल मिर्जापुर की चुनाव तहसील की जनता पूछ रही है।
जनता का आक्रोश: कब तक झेलेंगे परेशानी?
स्थानीय पत्रकार अंकित सिंह जो वहां के निवासी हैं उनका कहना है कि पोस्टमार्टम हाउस बंद होने से लोगों को 40 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है मानसिक तनाव शारीरिक परेशानी दोनों ही समुदाय वर्ग के लोगों को झेलना पड़ रहा है, जबकि पोस्टमार्टम हाउस के वजह से स्थानीय क्षेत्र निवासियों को काफी सुविधा थी जिससे अब काफी असुविधा हो रही है । वही जनता बेहद नाराज हैं जिला प्रशासन व भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से। उनका कहना है कि अगर जल्द से जल्द पोस्टमार्टम हाउस चालू नहीं किया गया, तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्हों ने सरकार से जनहित में की मांग तत्काल चुनार पोस्टमार्टम हाउस को शुरू किया जाए। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की जांच हो। प्रशासन जनता को जवाब दे कि देरी क्यों हो रही है।वही उन्होंने बताया कि जनता कह रही है इस बार वोट बैंक के माध्यम आर-पार की लड़ाई! का जवाब दिया जाएगा।