सुल्तानपुर: लंभुआ में सामूहिक विवाह कार्यक्रम में अतिथियों की गैरमौजूदगी से मायूस हुए लोग

रिपोर्ट: अनुराग सिंह बिष्ट
लखनऊ: सुल्तानपुर जिले के लंभुआ में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में आमंत्रित अतिथियों के न पहुंचने से वर-वधू पक्ष के लोग निराश दिखे। आयोजन के लिए भव्य मंच सजाया गया था, लेकिन मुख्य अतिथियों और विशिष्ट अतिथियों की सीटें खाली पड़ी रहीं।
अतिथियों के न आने से आयोजन पर पड़ा असर
इस सामूहिक विवाह समारोह के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद राम भुवाल निषाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह, लंभुआ विधायक सीताराम वर्मा, एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह, ब्लॉक प्रमुख कुंवर बहादुर सिंह और भदैया ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र वर्मा को मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। लेकिन कार्यक्रम के निर्धारित समय तक इनमें से कोई भी अतिथि नहीं पहुंचा, जिससे वर और वधू पक्ष के लोगों में नाराजगी देखी गई।
राज्य सरकार द्वारा गरीब परिवारों की बेटियों की शादी में आर्थिक सहायता देने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक विवाह योजनाओं का आयोजन किया जाता है। ऐसे आयोजनों में आम तौर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी शामिल होते हैं ताकि वे सरकार की योजनाओं को सफल बनाने में सहयोग कर सकें। लेकिन इस कार्यक्रम में अतिथियों की गैरमौजूदगी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की इन योजनाओं में अब रुचि कम हो रही है?
वर-वधू पक्ष के लोग काफी समय तक मुख्य अतिथियों के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन जब कोई नहीं पहुंचा तो मायूसी साफ झलकने लगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब सरकार की ओर से योजनाएं बनाई जाती हैं, तो उन्हें सही तरीके से लागू भी किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में आए मेहमानों को भी यह उम्मीद थी कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी आकर नवदंपतियों को आशीर्वाद देंगे और सरकारी योजनाओं की उपयोगिता पर प्रकाश डालेंगे।
इस पूरे मामले पर स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, कुछ अधिकारी आयोजन स्थल पर मौजूद थे, लेकिन आमंत्रित किए गए बड़े जनप्रतिनिधियों के न आने से कार्यक्रम की गरिमा कम होती दिखी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले पर प्रशासन या आमंत्रित अतिथि कोई सफाई देते हैं या नहीं।
सरकारी योजनाओं का असली उद्देश्य तभी सफल हो सकता है जब उन्हें गंभीरता से लागू किया जाए। सामूहिक विवाह योजना समाज के जरूरतमंद वर्गों को राहत देने के लिए बनाई गई है, लेकिन यदि ऐसे आयोजनों में मुख्य अतिथि ही न पहुंचे, तो यह कहीं न कहीं प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है।
अब देखना यह होगा कि इस घटना के बाद जनप्रतिनिधि और प्रशासन इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं और क्या आगे ऐसे आयोजनों को अधिक गंभीरता से लिया जाएगा।