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पीसीपीएनडीटी की क्षेत्रीय कार्यशाला हुई आयोजित

  • रिपोर्ट: अनुराग सिंह बिष्ट  

लखनऊ:

स्वास्थ्य विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में शनिवार को “गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध), अधिनियम(पीसीपीएनडीटी एक्ट), 1994” विषय पर मुख्य चिकित अधिकारी कार्यालय सभागार में क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित हुई जिसमें लखनऊ सहित हरदोई, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर, उन्नाव, अयोध्या, अमेठी, बाराबंकी,
अंबेडकरनगर, शाहजहांपुर, सुल्तानपुर, बरेली, पीलीभीत और अयोध्या के नोडल अधिकारी और जिला समन्वयक शामिल हुए ।

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एन.बी.सिंह ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करता हुए कहा कि
l 21वीं सदी चल रही है लेकिन आज भी लोग लड़कियों की अपेक्षा लड़कों के छह रखते हैं क्योंकि लड़कों के साथ यह भ्रांतियां जुड़ी हैं कि लड़के वंश को आगे बढ़ाते हैं और चिता को मुखाग्नि देते हैं जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है जबकि लड़कियां लड़कों से कम नहीं है । कल चावला, बबिता फोगाट आदि कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने देश में ही नहीं विदेश में भी नाम रोशन किया है । लोग भ्रांतियों के चलत गर्भ में ही लड़कियों के लिंग की पहचान कर उनको मार देत थे कई नारद हिम, क्लिनिक और चिकित्सक गैर कानूनी तौर पर लिप्त थे । इन गैर कानूनी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए
सरकार ने गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध), अधिनियम(पीसीपीएनडीटी एक्ट), 1996 लागू किया है । मुखबिर योजना चलाई है तथा तथा गर्भ समापन संशोधन अधिनियम(एमटीपी एक्ट), 2021 लागू किया गया है ।
उन्होंने कहा कि लड़का लड़की बराबर हैं समुदाय में इसका प्रचार प्रसार व्यापक तौर से करना जरूरी है तभी समुदाय की मानसिकता में बदलाव आएगा ।
उन्होंने कहा कि इसी क्रम में मुखबिर योजना चलाई जा रही है जिसके तहत लिंग चयन/भ्रूण हत्या/अवैध गर्भपात में संलिप्त व्यक्तियों/ संस्थानों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही में सरकार की सहायता की जा सकती है और इसके एवज में सरकार प्रोत्साहन राशि देती है । इस योजना के तहत सहायता करने पर गर्भवती को एक लाख रुपए, मुखबिर को
60,000 रुपए तथा
सहायक को 40,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है । सभी का नाम और पहचान गोपनीय रखा जाता है । हम सभी की जिम्मेदारी है कि
इसका अधिक से अधिक प्रचार करें जिससे कि लोग इस योजना में मदद के लिए आगे आएं ।
सरकार के प्रयासों से लिंगानुपात में कमी आई है लेकिन और इस पर और काम करने की जरूरत है ।

उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों से कहा कि एक्ट संबंधी नियम और कानूनों की
जानकारी अपने अपने जिलों में चिकित्सकों, अल्ट्रा सोनोलॉजिस्ट को दें जिससे कि यह अधिनियम प्रभावी रूप से लागू हो सके । इसको लेकर गंभीरता से काम करने की जरूरत है ।

पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डा. के.डी. मिश्रा ने पीसीपीएनडीटी अधिनियम तथा इससे जुड़े अन्य अधिनियमों की विस्तार से जानकार दी और बताया कि अधिनियम के तहत गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना कानूनन दंडनीय अपराध है। उन्होंने बताया कि
वेबसाइट www.pyaribitia.com है जिस पर अल्ट्रासाउंड करने वाले चिकित्सक और करवाने वाले लाभार्थी का सारा विवरण होता है और एक पंजीकरण नंबर भी होता है जिसके माध्यम से पता चलता है कि अल्ट्रासाउंड क्यों करवाया जा रहा है ।

लिंग निर्धारण के लिए प्रेरित करने तथा अधिनियम के प्रावधानों / नियमों के उल्लंघन के लिए कारावास एवं सजा का प्रावधान है । लिंग जांच करके बताने वाले को पांच साल की सजा या एक लाख का जुर्माना है और जो व्यक्ति भ्रूण लिंग जांच करवाता है उस को पांच साल की सजा या 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है |
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि
वेटिंग एरिया में पीसीपीएनडीटी एक्ट की एक प्रतिलिपि जरूर रखें और आने वाले लोगों को इसको पढ़ने के लिए अवश्य दें जिससे कि उन्हें एक्ट की जानकारी हो ।
डायग्नोस्टिक सेंटर पर अल्ट्रा साउंड करने वाले चिकित्सक, नाम, पंजीकरण संख्या और केंद्र पर उसकी उपस्थिति के समय की जानकारी स्पष्ट भाषा में चस्पा करना अनिवार्य है ।
उन्होंने एमटीपी एक्ट की जानकारी विस्तार से दी ।
कार्यशाला में संस्था एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव (आली) की कार्यकारी निदेशक रेनू मिश्रा ने पीपीटी के माध्यम से अधिनियम संबंधी कानूनी पहलुओं की जानकारी दी।
इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी.एन.यादव, डॉ. गोपीलाल, डॉ.एम.एच.सिद्दीकी,
डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव, डॉ. अमिताभ श्रीवास्तव, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ए.पी. सिंह, डॉ. निशांत निर्वाण, डॉ.ज्योति कामले, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, पीसीपीएनडीटी के स्टेट कंसलटेंट अरविंद,
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम,
प्रबंधक सतीश यादव, जिला समुदाय प्रक्रिया प्रबंधक विष्णु प्रताप, पीसीपीएनडीटी के जिला समन्वयक शादाब, सभी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की महिला रोग विशेषज्ञ, एसजीपीजीआई, आरएमएल, झलकारी बाई, रानी अवंती बाई जिला महिला चिकित्सालय, भाऊ राव देवरस जिला संयुक्त, टीबी सह संयुक्त चिकित्सालय, राम सागर मिश्रा 100 शैय्या संयुक्त चिकित्सालय सहित अन्य सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के अल्ट्रा साउंड विशेषज्ञ, पीसी पीएनडीटी के सलाहकार समिति के सदस्य विधिक सलाहकार रेनू, प्रदीप मिश्रा, पटल सहायक संजीव श्रीवास्तव,
संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के प्रतिनिधि सहित और
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अन्य अधिकारी कर्मचारी व उपस्थित रहे |

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