यूपी के डीजीपी प्रशांत किशोर ने कुंभ मेले में सभी VIP पास रद्द किए, VIP संस्कृति पर उठे सवाल

- रिपोर्ट: अनुराग सिंह विष्ट
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत किशोर ने कुंभ मेले में जारी किए गए सभी वीआईपी पास को रद्द करने का फैसला किया है। इस फैसले से साफ संदेश जाता है कि वीआईपी मूवमेंट के कारण पुलिस के कामकाज पर असर पड़ा था।
सरकार ने कुंभ मेले के दौरान VIP पास छापकर उसे आमंत्रण पत्र की तरह बांटा, जिससे मेले में VIP संस्कृति को बढ़ावा मिला। इन पासों के कारण नेता, उद्योगपति, ब्यूरोक्रेट्स, कथावाचक और नामचीन पत्रकारों को विशेष सुविधाएं मिलीं, और वे आम श्रद्धालुओं से अलग VIP घाटों पर स्नान करते नजर आए।
अब देखना दिलचस्प होगा कि कितने प्रसिद्ध लोग बिना किसी विशेष सुविधा के आम श्रद्धालुओं की तरह कुंभ मेले में स्नान के लिए आते हैं। कुंभ मेला किसी एक व्यक्ति या संस्था का निजी आयोजन नहीं है, बल्कि यह आस्था और श्रद्धा का पर्व है, जहां लोग अपनी धार्मिक मान्यता के अनुसार आते हैं, न कि सरकारी आमंत्रण पर।
VIP संस्कृति के कारण अव्यवस्था और हादसे
कुंभ मेले में वीआईपी संस्कृति के चलते अव्यवस्था का आलम यह रहा कि प्रशासन का पूरा ध्यान नेताओं, उद्योगपतियों और ब्यूरोक्रेट्स पर केंद्रित रहा। वीआईपी को गाड़ी समेत अंदर जाने की अनुमति दी गई, जिससे ऐसा लगा मानो यह कोई आधिकारिक कार्यक्रम हो, जहां आमंत्रित मेहमानों के लिए खास इंतजाम किए गए हों।
इस तरह की व्यवस्थाओं ने आम श्रद्धालुओं के लिए कठिनाइयां खड़ी कीं। अव्यवस्थित इंतजामों के चलते हादसे भी हुए, जिनका खामियाजा केवल आमजन को भुगतना पड़ा। प्रशासन पर खानापूर्ति और लापरवाही के आरोप भी लग रहे हैं। इसके अलावा, बड़ी मात्रा में सरकारी लागत भी VIP व्यवस्थाओं पर खर्च हुई, जिससे श्रद्धालुओं की मूलभूत सुविधाओं में कटौती देखी गई।
डीजीपी प्रशांत किशोर के इस फैसले के बाद यह देखना होगा कि कुंभ में वीआईपी संस्कृति पर कितनी रोक लगती है और आमजन के लिए प्रशासन किस तरह की व्यवस्थाएं करता है।
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