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उत्तराखंड बना समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य

देहरादून: उत्तराखंड में आज, सोमवार (27 जनवरी), से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बन गया, जहां यह कानून प्रभावी हो गया है। इस कानून का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी ढांचा तैयार करना है, चाहे उनका धर्म या समुदाय कोई भी हो।

ऐतिहासिक कदम
दोपहर करीब 12:30 बजे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य दौरे से पहले UCC पोर्टल का अनावरण करते हुए इस विधेयक को लागू किया। यह कानून न केवल राज्य में, बल्कि उत्तराखंड से बाहर रहने वाले नागरिकों पर भी लागू होगा।

लिव-इन रिलेशनशिप के लिए नए नियम
नए कानून में लिव-इन रिलेशनशिप के लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं:

1.पंजीकरण अनिवार्य: लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अधिकारियों के पास पंजीकरण कराना होगा।
2.आयु और सहमति: 21 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी।
3.कानूनी परिणाम: पंजीकरण में विफल रहने या गलत जानकारी देने पर 3 महीने की जेल, ₹25,000 जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

महिला और बच्चों के अधिकार
.लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को वैध माना जाएगा।
.महिला को लिव-इन रिलेशन टूटने पर गुजारा भत्ते की मांग का अधिकार होगा।
.बिना जानकारी दिए एक महीने से अधिक लिव-इन में रहने पर ₹10,000 का जुर्माना या कारावास हो सकता है।

संपत्ति और विवाह से जुड़े बदलाव
.बेटों और बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार दिए जाएंगे।
.बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, और एकविवाह को आदर्श माना जाएगा।
.विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा।
.वैध और अवैध बच्चों के बीच कोई भेदभाव नहीं होगा।

बच्चों के अधिकार
जैविक, गोद लिए गए, सरोगेसी के माध्यम से या सहायक प्रजनन तकनीक से पैदा हुए सभी बच्चों को समान अधिकार मिलेंगे।
संपत्ति के अधिकार में जीवित साथी, बच्चों और माता-पिता को समान अधिकार सुनिश्चित किए जाएंगे।

समाज पर असर
उत्तराखंड सरकार का यह कदम राज्य के लिए सामाजिक और कानूनी सुधार का बड़ा प्रयास माना जा रहा है। UCC के लागू होने के बाद, व्यक्तिगत कानूनों से जुड़े विवादों को खत्म करने में मदद मिलेगी और समाज में समानता की भावना को बढ़ावा मिलेगा।

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