तेहरान: ईरान ने इजरायली खुफिया ठिकानों पर किया हमला, खामेनेई ने कहा – “जंग शुरू होती है”

तेहरान: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष ने अब और उग्र रूप ले लिया है। मंगलवार को ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने तेल अवीव स्थित इजरायली सैन्य खुफिया और मोसाद की फैसिलिटी सहित कई “प्रमुख खुफिया ठिकानों” पर हमला किया। वहीं, इजरायली वायुसेना ने पश्चिमी ईरान में हवाई हमलों की एक नई श्रृंखला शुरू करने का दावा किया है।
इस बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल के खिलाफ युद्ध की औपचारिक घोषणा कर दी है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा – “जंग शुरू होती है। हम आतंकी इजरायल को कड़ा जवाब देंगे। उन पर कोई दया नहीं की जाएगी।”
इस ऐलान के तुरंत बाद ईरान ने इजरायल पर 25 मिसाइलें दागीं। ईरानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार सुबह IRGC ने इजरायल पर फतह मिसाइल दागी, जिसमें पहली बार फतह-1 मिसाइल का इस्तेमाल किया गया है।
ईरान की सरकारी मीडिया के अनुसार, IRGC के एयरोस्पेस बल ने तड़के एक “प्रभावी सैन्य अभियान” चलाया, जिसमें इजरायल की अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली को भेदने का दावा किया गया। ईरानी सेना ने कहा कि इन हमलों का मुख्य निशाना था इजरायली सेना का अमन मुख्यालय और मोसाद की वह फैसिलिटी जहां कथित रूप से हत्या अभियानों की योजना बनाई जाती थी।
600 से अधिक की मौत, हालात बेहद गंभीर
वॉशिंगटन स्थित एक मानवाधिकार संगठन के मुताबिक, ईरान में अब तक इस युद्ध में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 1,326 से अधिक घायल हुए हैं। हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और दोनों देशों के बीच खुली जंग की स्थिति बनती दिख रही है।
इजरायल की चेतावनी – “खामेनेई का हश्र सद्दाम जैसा होगा”
इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने अयातुल्ला खामेनेई पर इजरायली नागरिकों के खिलाफ युद्ध अपराधों का आरोप लगाते हुए कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि खामेनेई का अंजाम भी इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन जैसा हो सकता है, जिन्हें अमेरिकी सैनिकों ने मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए पकड़कर फांसी दी थी।
इजरायली समाचार एजेंसी वाईनेट से बातचीत में काट्ज ने कहा –
“मैं ईरानी तानाशाह को चेतावनी देता हूं कि वह युद्ध अपराधों और इजरायली नागरिकों पर मिसाइल हमले बंद करें। उन्हें याद रखना चाहिए कि उनके पड़ोसी देश के तानाशाह का क्या हश्र हुआ, जिसने इजरायल के खिलाफ यही रास्ता अपनाया था।”
इस युद्ध को लेकर अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें पश्चिम एशिया पर टिक गई हैं, जहां हालात किसी भी वक्त और खतरनाक मोड़ ले सकते हैं।