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2021 की WhatsApp गोपनीयता नीति: एनसीएलएटी ने CCI के अविश्वास मामले में मेटा को आंशिक राहत

नई दिल्ली:भारत में एक अविश्वास मामले में मेटा को 23 जनवरी को राहत मिली, जब राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें WhatsApp को मेटा के स्वामित्व वाले अन्य प्लेटफ़ॉर्म के साथ उपयोगकर्ता डेटा साझा करने पर पांच साल तक रोक लगाने का निर्देश दिया गया था। यह मामला 2021 की WhatsApp गोपनीयता नीति के कारण उठा था, जिसमें WhatsApp और मेटा के अन्य प्लेटफ़ॉर्म के बीच डेटा साझाकरण अनिवार्य किया गया था।

CCI का जुर्माना और डेटा साझाकरण से जुड़ी चिंताएँ:
CCI ने पिछले साल नवंबर में WhatsApp पर 213 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था और कंपनी को उपयोगकर्ताओं पर अनुचित शर्तें लगाने के कारण आरोपित किया था। यह जुर्माना 2021 की गोपनीयता नीति के तहत व्हाट्सएप के द्वारा अपने उपयोगकर्ताओं के डेटा को मेटा के अन्य प्लेटफ़ॉर्म जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ साझा करने की अनिवार्यता पर आधारित था, जिससे गोपनीयता और बाजार की निष्पक्षता को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हुईं।

एनसीएलएटी का फैसला और मेटा का प्रतिक्रिया:
एनसीएलएटी ने CCI के आदेश पर आंशिक रोक लगाई और व्हाट्सएप को 213 करोड़ रुपये के जुर्माने की राशि का 50 प्रतिशत अगले दो सप्ताह में जमा करने का आदेश दिया। मेटा ने इस आदेश पर असहमति जताई और कहा कि वह अगले कदमों का मूल्यांकन कर रहे हैं।

एनसीएलएटी ने इस फैसले में कहा, “हम CCI के आदेश पर आंशिक रोक लगाने के निर्णय का स्वागत करते हैं। हम आगे का रास्ता खोजने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, ताकि हम हमारे प्लेटफ़ॉर्म पर निर्भर व्यवसायों का समर्थन कर सकें और उपयोगकर्ताओं को बेहतरीन अनुभव प्रदान कर सकें।”

CCI द्वारा आदेशित पांच मुख्य उपाय:
CCI ने WhatsApp को कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के लिए निर्देश दिया, जिसमें से कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

पाँच वर्षों तक डेटा साझा करने पर रोक:
CCI ने आदेश दिया कि WhatsApp को अगले पांच वर्षों तक मेटा के अन्य प्लेटफ़ॉर्म के साथ विज्ञापन उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ता डेटा साझा करने से रोका जाए।

विस्तृत स्पष्टीकरण देने का आदेश:
WhatsApp को यह स्पष्ट करना होगा कि वह किन कारणों से और किस प्रकार का डेटा मेटा के अन्य प्लेटफ़ॉर्म के साथ साझा कर रहा है।

डेटा साझाकरण को शर्त के रूप में नहीं रखना:
CCI ने कहा कि WhatsApp उपयोगकर्ताओं को यह विकल्प देगा कि वे मेटा प्लेटफ़ॉर्म के साथ डेटा साझा करने के लिए बाध्य न हों।

डेटा साझाकरण से बाहर निकलने का विकल्प:
WhatsApp को 2029 के बाद उपयोगकर्ताओं को इन-ऐप अधिसूचना के माध्यम से डेटा साझाकरण से बाहर निकलने का एक तरीका प्रदान करना होगा।

उपयोगकर्ता पसंद की समीक्षा करने का विकल्प:
CCI ने निर्देश दिया कि WhatsApp उपयोगकर्ताओं को ऐप की सेटिंग में एक अलग टैब के माध्यम से अपनी डेटा साझा करने की पसंद को संशोधित करने का अवसर प्रदान करेगा।

मेटा और CCI के बीच की कानूनी लड़ाई
एनसीएलएटी के समक्ष 16 जनवरी को हुई सुनवाई में मेटा और व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि व्हाट्सएप के डेटा साझाकरण की प्रथाएँ व्यवसाय की स्थिरता के लिए आवश्यक थीं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर Google और अन्य कंपनियों की नीति को भी सामने रखा। दूसरी ओर, CCI ने अपने आदेश पर किसी भी रोक का विरोध किया था और कहा कि यूरोप में व्हाट्सएप उपयोगकर्ताओं को डेटा साझा करने से बाहर रहने का विकल्प देता है, लेकिन भारत में यह “ले लो या छोड़ दो” नीति पर काम करता है।

इस फैसले ने मेटा को कुछ राहत दी है, लेकिन CCI द्वारा दिए गए आदेशों को लेकर कानूनी प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी।

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