प्लास्टिक बैन पर सरकारी ‘रंग’ फीका! होली में धड़ल्ले से बिक रही पाबंद पंनियाँ,अफसर बने मूकदर्शक

- रिपोर्ट: चन्दन दुबे
मिर्ज़ापुर: सरकार का दावा स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत का है, लेकिन हकीकत में गली-गली पाबंद प्लास्टिक की पनियाँ ‘स्वच्छता अभियान’ का मजाक उड़ा रही हैं। होली के रंगों के साथ-साथ बाजारों में प्लास्टिक की पन्नियों की बिक्री भी पूरे शबाब पर है, और मजेदार बात यह है कि यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है।
कानून हवा में, पन्नियाँ सड़कों पर
प्रदेश सरकार ने प्लास्टिक पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन मिर्ज़ापुर नगर पालिका क्षेत्र में इसका पालन करवाने वाला कोई नहीं। बाजारों में दुकानदार बेहिचक प्लास्टिक की पनियाँ बेच रहे हैं, और छोटे बच्चे इन्हीं में रंग भरकर इधर-उधर फेंक रहे हैं। नतीजा? नगर की सड़कों पर प्लास्टिक का ढेर, जाम नालियाँ और ‘स्वच्छता’ की नई परिभाषा।
भाजपा शासित नगर, लेकिन नियमों की उड़ रही धज्जियाँ
मिर्ज़ापुर भाजपा शासित नगर पालिका क्षेत्र है। जिले में भाजपा के पांच विधायक हैं, गठबंधन से सांसद हैं, स्वास्थ्य मंत्री इसी जिले से आते हैं, लेकिन इनके ही शासन में खुलेआम सरकार के नियमों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। सवाल उठता है—जब सरकार खुद अपने बनाए नियम लागू नहीं करवा पा रही, तो जनता से क्या उम्मीद की जाए।
प्रशासन ‘रंगों’ में व्यस्त या मिलीभगत
नगर पालिका प्रशासन की भूमिका संदेह के घेरे में है। क्या अधिकारी इस गोरखधंधे से अंजान हैं, या फिर सब जानते हुए भी अनदेखा कर रहे हैं? स्वच्छता अभियान के नाम पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं, लेकिन जब वही प्रशासन पाबंद प्लास्टिक पर कार्रवाई तक न करे, तो समझिए कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं।
‘स्वच्छता’ का यह हाल तो विकास का क्या होगा
अगर मिर्ज़ापुर जैसे भाजपा शासित जिले में ही कानून का यह हाल है, तो बाकी जगहों की स्थिति क्या होगी? जब होली जैसे त्योहारों में स्वच्छता नियमों की ऐसी धज्जियाँ उड़ती हैं, तो आम दिनों में प्रशासन की कार्यप्रणाली का अंदाजा लगाया जा सकता है।
अब देखना यह है कि क्या जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करेंगे या फिर होली के रंगों के साथ नियम-कानून भी बह जाने देंगे।