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इलाज के नाम पर ‘मौत के सौदागर’, अवैध अस्पतालों का गोरखधंधा बेखौफ जारी

  मरीजों के इलाज से ज्यादा, 'धंधा' चमकाने में जुटे हैं लखनऊ के कई अस्पताल 

वरिष्ठ संवाददाता: राजीव आनन्द

लखनऊ। 

आपको बताते चले कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, में जहां बड़े-बड़े मेडिकल कॉलेज और नामी अस्पतालों की चमक-दमक आपको दिखाई देगी, वहीं दूसरी ओर बिना किसी सरकारी अनुमति के चल रहे ‘मौत के सौदागर’ भी खुलेआम मरीजों की जान से खेल रहे हैं। बिना योग्य डॉक्टरों, बिना जरूरी संसाधनों और बिना किसी नियम-कानून की परवाह किए, ये अवैध अस्पताल अपनी मनमर्जी से ऑपरेशन कर रहे हैं, इलाज के नाम पर गलत दवाइयां दे रहे हैं, और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य देने की जगह, उन्हें और गंभीर बीमारियों की सौगात दे रहे हैं।
झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें या ‘बीमारी का गारंटी कार्ड’?
शहर के कई इलाकों में बिना किसी मेडिकल डिग्री वाले ‘झोलाछाप डॉक्टरों’ की फौज तैनात है। इनके पास न तो किसी अस्पताल में काम करने की योग्यता है और न ही कोई प्रमाणित डिग्री। फिर भी, ये लोग खुद को डॉक्टर बताकर मरीजों का ‘इलाज’ कर रहे हैं और बड़े-बड़े ऑपरेशन तक कर डालते हैं।
कुछ नामी ‘अवैध अस्पताल’ जिनका खेल जारी है:
🔹 मेडिक्स हॉस्पिटल (बालागंज)*
🔹 नीलकंठ हॉस्पिटल
🔹 एनएम हॉस्पिटल
🔹 रेवान्ता हॉस्पिटल

इन अस्पतालों में से कई के पास फायर NOC तक नहीं है। नियमों के मुताबिक अस्पताल खोलने के लिए स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी जरूरी होती है, लेकिन यहां पैसा और जुगाड़ ज्यादा मायने रखता है। गरीब जनता सरकारी अस्पतालों की लंबी कतार में अपनी बारी का इंतजार करती रह जाती है, जबकि इन अवैध अस्पतालों में पैसे की मोटी रकम फेंकते ही ‘फटाफट इलाज’ हो जाता है—चाहे वो इलाज सही हो या फिर जानलेवा।
प्रशासन की चुप्पी: भ्रष्टाचार, मिलीभगत या ‘इंतजार’ किसी हादसे का?
अब सवाल उठता है कि प्रशासन आखिर इतनी बड़ी लापरवाही पर चुप क्यों है? जवाब बहुत आसान है।
भ्रष्टाचार।
जब हर महीने ‘जेब गर्म’ हो रही हो, तो कानून सिर्फ कागज़ों में रह जाते हैं।
राजनीतिक संरक्षण बड़े-बड़े रसूखदार नेताओं की ‘शरण’ में पल रहे ये अस्पताल दिन-ब-दिन बेखौफ होते जा रहे हैं।
प्रशासनिक लापरवाही।
जब तक कोई बड़ी मौत नहीं होती, तब तक ‘सिस्टम’ अपनी आंखें मूंदे रहता है। कभी-कभी छापेमारी दिखावे के लिए हो जाती है, लेकिन कुछ ही दिनों में धंधा फिर से चालू हो जाता है!
मरीजों के लिए कितना बड़ा खतरा?
अगर आप सोच रहे हैं कि किसी भी अस्पताल में जाकर इलाज कराना सुरक्षित है, तो जरा सोचिए।
गलत इलाज बीमारी को और बढ़ा सकता है।
गलत दवाइयां और इंजेक्शन एलर्जी, साइड इफेक्ट या यहां तक कि मौत तक का कारण बन सकते हैं। संक्रमण और लापरवाही के कारण सर्जरी के बाद भी मरीजों की हालत और बिगड़ सकती है।
इमरजेंसी में सही इलाज न मिलने से मरीज की जान तक जा सकती है।
इलाज के नाम पर मौत का खेल कब तक?
प्रशासन जब तक ठोस कदम नहीं उठाएगा, तब तक लखनऊ में इलाज के नाम पर यह मौत का खेल ऐसे ही चलता रहेगा। लेकिन क्या हम, जनता, चुपचाप इसे देखते रहेंगे? अगर आपको किसी अवैध अस्पताल के बारे में जानकारी है, तो स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को तुरंत शिकायत करें।
साथ ही, मीडिया और सामाजिक संगठनों को इस गोरखधंधे को उजागर करने के लिए आगे आना होगा।
स्वास्थ्य विभाग को हर अस्पताल की सख्ती से जांच करनी होगी।
बिना NOC वाले अस्पतालों को तुरंत सील किया जाए।
फर्जी डॉक्टरों और बिना लाइसेंस वाले अस्पतालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो।
जनता को जागरूक होना पड़ेगा, ताकि किसी और की जान से खिलवाड़ न हो।
अब फैसला आपके हाथ में है।
क्या आप भी इन मौत के सौदागरों के भरोसे अपनी जान देंगे? या फिर इनके खिलाफ आवाज़ उठाकर इस गोरखधंधे को बंद करवाने में मदद करेंगे? फैसला आपको करना है।

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