सकट चौथ व्रत आज: माताओं ने रखा निर्जला व्रत, जानें व्रत कथा

माघ मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाने वाला सकट चौथ या तिलकुट चौथ व्रत आज, 17 जनवरी (शुक्रवार) को है। इस दिन माताएं अपने संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और जीवन के संकटों को दूर करने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत भगवान गणेश जी को समर्पित होता है और उनकी पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है।
गणेश जी को तिलकुट का भोग और व्रत कथा का महत्व
सकट चौथ की पूजा के दौरान गणेश जी को तिलकुट का भोग अर्पित किया जाता है। व्रत की पूर्णता के लिए सकट चौथ व्रत कथा का पाठ अनिवार्य माना गया है। कथा पढ़ने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और व्रत की महत्ता समझ में आती है।
सकट चौथ की शिव पुराण से जुड़ी कथा
उज्जैन के महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, सकट चौथ व्रत से जुड़ी शिव पुराण की एक प्रसिद्ध कथा है। इसमें भगवान गणेश और कार्तिकेय के बीच पृथ्वी की परिक्रमा की प्रतियोगिता होती है। गणेश जी अपनी बुद्धि का प्रयोग कर माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा कर यह सिद्ध करते हैं कि माता-पिता से बढ़कर कुछ भी नहीं।
इस पर भगवान शिव उन्हें प्रथम पूज्य का आशीर्वाद देते हैं और कहते हैं कि जो व्यक्ति चौथ व्रत करेगा, वह सुख, समृद्धि, संतान सुख और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति पाएगा।
बुढ़िया और गणेश जी की कथा
एक अन्य कथा एक नेत्रहीन बुढ़िया से जुड़ी है। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश जी प्रकट हुए और उसकी सभी इच्छाएं पूरी कीं। बुढ़िया ने धन, स्वास्थ्य, अखंड सुहाग, आंखों की रोशनी, और जीवन के अंत में मोक्ष मांगा। गणेश जी ने प्रसन्न होकर उसे यह सभी वरदान दिए।
सकट चौथ का मुहूर्त (2025)
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 जनवरी, सुबह 04:06 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 जनवरी, सुबह 05:30 बजे
अभिजीत मुहूर्त: 12:10 बजे दोपहर से 12:52 बजे तक
सौभाग्य योग: प्रातःकाल से देर रात 12:57 बजे तक
शोभन योग: रात 12:57 बजे से अगले दिन तक
चंद्रमा के दर्शन: रात 09:09 बजे
व्रत की महत्ता
सकट चौथ का व्रत न केवल संकटों को दूर करता है बल्कि सुख, समृद्धि और संतान प्राप्ति का भी वरदान देता है। गणेश जी के आशीर्वाद से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।