16 वर्षीय रतन दुबे जिंदगी और मौत से जूझ रहा, हमलावर अब भी खुलेआम घूम रहे हैं – मिर्जापुर के तिलठी गांव में दरिंदगी की हदें पार

- रिपोर्ट: चन्दन दुबे
मिर्जापुर/चील्ह: जिले के तिलठी गांव से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां मात्र 16 वर्ष का एक नाबालिग बालक रतन दुबे जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है। घटना 8 मई 2025 की है, जब गांव के चौराहे पर फुल्की खाने गए रतन पर जानलेवा हमला कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, रतन और गांव के ही कुछ युवकों के बीच 5 मई को बारात में पानी पिलाने को लेकर कहासुनी हुई थी, जो आपसी समझौते के बाद शांत हो गई थी। लेकिन तीन दिन बाद अचानक वही पुरानी रंजिश खूनी खेल का बहाना बन गई।
बताया जा रहा है कि 8 मई को शाम करीब 7:30 बजे रतन जब गांव के चौराहे पर पहुंचा, तभी वहां मंयक उपाध्याय और मृदुल उपाध्याय नामक युवक पहुंचे और पुरानी बातों को लेकर उससे उलझ पड़े। झगड़े के दौरान अन्य तीन युवक—चक्रधर उपाध्याय, आयुष और निलेश उपाध्याय भी वहां पहुंच गए। पांचों ने मिलकर रतन को लाठी, लोहे के कड़े और लात-घूंसों से बेरहमी से पीटा। सिर और शरीर पर बुरी तरह वार कर उसे खून से लथपथ कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर लगातार गालियां बकते रहे और जान से मार डालने की धमकियां देते रहे। शोरगुल सुनकर स्थानीय लोग दौड़े और किसी तरह रतन की जान बचाई। परिजन और ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और 108 एम्बुलेंस से पहले चील्ह पीएचसी, फिर सदर अस्पताल और बाद में गंभीर स्थिति को देखते हुए स्वरूप रानी अस्पताल, प्रयागराज रेफर किया गया, जहां रतन की हालत नाजुक बनी हुई है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इतनी वीभत्स घटना के बावजूद आरोपी अभी तक खुलेआम घूम रहे हैं। पीड़ित परिवार और ग्रामीणों में आक्रोश है। उनका सवाल है कि जब एक नाबालिग बच्चा मौत के मुंह में पड़ा हो, तब पुलिस किस बात की जांच कर रही है? क्या दबंगों के दबाव में पुलिस कार्रवाई से पीछे हट रही है?
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो गांव में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। पीड़ित परिवार ने आशंका जताई है कि विपक्षीगण रंजिशन किसी और घटना को अंजाम दे सकते हैं।
प्रशासन को चाहिए कि मामले की गंभीरता को समझते हुए फौरन आरोपियों की गिरफ्तारी कर उन्हें जेल भेजे और पीड़ित को न्याय दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए।