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वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर दो बाइक की आमने-सामने टक्कर, एक की मौत, दो घायल:’किलर रोड’ ने ली एक और जान, ओवरलोड वाहनों की तेज रफ्तार बनी वजह

  • रिपोर्ट: चन्दन दुबे

सोनभद्र/अनपरा: वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर रविवार की सुबह लगभग 10 बजे एक दर्दनाक सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा डीबुलगंज स्थित कराहिया ऑक्सीजन एजेंसी के समीप उस समय हुआ जब दो मोटरसाइकिलें आमने-सामने टकरा गईं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बेरपन निवासी चिंतामणि यादव (38 वर्ष), पुत्र रिचक यादव, अनपरा होते हुए अपनी मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे। इसी दौरान विपरीत दिशा से आ रही एक अन्य बाइक, एक ट्रक के ओवर स्पीड करने के कारण काचनरवा से आरही मोटर साईकिल अनबैलेंस होने चालक हरिदास यादव पुत्र रामवृक्ष एवं उनके साथी सुकर पुत्र सुरेंद्र सवार थे, से उनकी भिड़ंत हो गई।

टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि चिंतामणि यादव को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वहीं दूसरी बाइक पर सवार हरिदास यादव का पैर टूट गया, जबकि पीछे बैठे सुकर को अंदरूनी चोटें आईं हैं। दोनों घायलों का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है। जहां मृतक चिंतामणि यादव की शव को कब्जे में लेकर पुलिस ने तत्काल पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

वही स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सड़क वर्षों से ‘किलर रोड’ के नाम से कुख्यात है। आए दिन यहां सड़क हादसे होते हैं, जिनकी प्रमुख वजहें ओवरलोड ट्रकों की तेज रफ्तार, संकरी सड़कें, जर्जर पटरियां और अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था हैं।

सड़क सुरक्षा को लेकर स्थानीय नेताओं ने भी नाराजगी जताई। समाजवादी पार्टी के नेता श्रवण यादव और भाजपा के नेता आकाश पांडे ने कहा कि यदि सड़क का चौड़ीकरण नहीं किया जा रहा है, तो कम से कम पटरियों की मरम्मत कर दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। लेकिन सरकारी उदासीनता और लचर व्यवस्था के कारण आए दिन लोग इस मार्ग पर अपनी जान गंवा रहे हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सड़कों की हालत सुधारी जाए और हादसों की आशंका वाले स्थानों पर विशेष सतर्कता बरती जाए। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि प्रशासनिक आदेशों की अनदेखी हो रही है और घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। जहां यह हादसा बार बार यह सोचने पर मजबूर करता है कि जब तक सड़क सुरक्षा को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं होता, तब तक ‘किलर रोड’ जैसे नाम केवल उपमाएं नहीं, बल्कि जनता की पीड़ा और सरकारी सिस्टम की जिम्मेदारों की लापरवाही का आईना बने रहेंगे।

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