ज़मीन घोटाले में लिप्त प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग, समाजवादी मजदूर सभा ने दी आंदोलन की चेतावनी

अमित कुमार की रिपोर्ट
अयोध्या। समाजवादी मजदूर सभा के प्रान्तीय सचिव व अवध ज़ोन के प्रभारी अखिलेश चतुर्वेदी ने एक प्रेस वार्ता में ग्रामसभा सरेठी स्थित भूमि संख्या-00189 को लेकर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि राम जियावन मौर्या और उनकी पत्नी स्वर्णिमा मौर्या ने काशी यादव और रामनिहाल मौर्य नामक दो प्रॉपर्टी डीलरों से जमीन खरीदने का सौदा किया था।
प्रारंभ में काशी यादव और रामनिहाल मौर्य ने जमीन 1100 रुपये प्रति स्क्वायर फीट देने की बात कही, लेकिन बाद में 2000 रुपये प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से सौदा तय हुआ। इस सौदे के तहत राम जियावन मौर्या से कुल 28 लाख रुपये ले लिए गए, लेकिन इसके बदले में मात्र 1200 स्क्वायर फीट की जमीन का ही बैनामा किया गया, जिसकी कीमत मात्र 13 लाख 20 हजार रुपये थी।
जब राम जियावन मौर्या ने शेष भूमि या पैसों की वापसी की मांग की, तो दोनों डीलरों ने गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी। इतना ही नहीं, उन्हें यह कहकर डराया गया कि बाकी जमीन रामनिहाल मौर्य ने अपनी पत्नी के नाम करवा दी है। इस पूरे मामले को लेकर राम जियावन मौर्या ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अयोध्या को प्रार्थना पत्र सौंपा है, जिसकी जांच वर्तमान में सीओ अयोध्या द्वारा की जा रही है।
राम जियावन मौर्या की हालत इस समय बेहद खराब है। जब उन्हें कहीं से भी मदद नहीं मिली तो उन्होंने समाजवादी मजदूर सभा से सहायता मांगी। संगठन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन इस पर शीघ्र कार्रवाई नहीं करता तो वे जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
प्रेस वार्ता के दौरान संगठन की ओर से जिलाधिकारी अयोध्या को इस पूरे प्रकरण की जानकारी भी दी गई, जिसमें प्रमुख रूप से जिलाध्यक्ष कैलाश कोरी, महानगर अध्यक्ष राजकपूर बौद्ध, जिला उपाध्यक्ष महेश सोनकर, विश्वनाथ कोरी, राकेश कोरी, उमाकान्त पाण्डेय, बीरेन्द्र यादव और आरटी यादव उपस्थित रहे।
अखिलेश चतुर्वेदी ने सवाल उठाया कि जब जमीन की रजिस्ट्री मात्र 2 लाख रुपये में हुई, तो शेष 26 लाख रुपये हड़पने का अधिकार इन डीलरों को किसने दिया? क्या अयोध्या में खुलेआम जमीन के नाम पर लूट को संरक्षण मिल रहा है? उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में तत्काल सख्त कार्रवाई हो ताकि भविष्य में कोई और नागरिक इस तरह की ठगी का शिकार न हो।
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