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सुल्तानपुर: चार साल से खुद को ‘जिंदा’ साबित करने की जंग, राम प्रसाद की गुहार पर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

  • रिपोर्ट: अनुराग सिंह बिष्ट

सुल्तानपुर: बल्दीराय तहसील के हलियापुर क्षेत्र के गांव गौहनिया निवासी राम प्रसाद यादव पिछले चार वर्षों से खुद को सरकारी रिकॉर्ड में ‘जिंदा’ साबित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। सड़क चौड़ीकरण मुआवजे में धोखाधड़ी के चलते सरकारी दस्तावेजों में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया, जबकि वे आज भी जीवित हैं।

न्याय की तलाश में राम प्रसाद यादव ने जिलाधिकारी से लेकर मंत्री, सांसद और मुख्यमंत्री तक की चौखट खटखटाई, लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिली। अंततः उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से अब उन्हें उम्मीद की एक किरण मिली है।

हाईकोर्ट का सख्त रुख, तीन महीने में निस्तारण का आदेश
राम प्रसाद की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तहसीलदार को आदेश दिया है कि तीन महीने के भीतर मामले की जांच कर अंतिम निर्णय सुनाया जाए।

राम प्रसाद की पीड़ा:
मीडिया से बातचीत में राम प्रसाद ने कहा, “मैं जिंदा हूं, सांस ले रहा हूं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में मरा हुआ हूं। मेरा अस्तित्व खत्म कर दिया गया है, सिर्फ इसलिए कि कुछ लोगों ने मुआवजे के नाम पर धोखाधड़ी की।”

क्या है मामला:
बताया जाता है कि सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत मुआवजा लेने के लिए कुछ लोगों ने साजिश के तहत राम प्रसाद को मृत दिखा दिया, ताकि उनकी भूमि पर मुआवजा क्लेम किया जा सके।

अब जब हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया है और स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं, तो राम प्रसाद को उम्मीद है कि उन्हें न्याय जरूर मिलेगा और वे फिर से सरकारी रिकॉर्ड में जीवित माने जाएंगे।

प्रशासन पर सवाल:
इस मामले ने प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की गंभीर पोल खोल दी है। अब देखना होगा कि तहसील प्रशासन हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन कर राम प्रसाद को न्याय दिला पाता है या नहीं।

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