रिया अब कभी स्कूल नहीं जाएगी: क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था केवल पैसे वालों के लिए है?

- रिपोर्ट:अनुराग सिंह बिष्ट
प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 9वीं कक्षा की छात्रा रिया प्रजापति ने अपनी जान दे दी, क्योंकि उसके स्कूल ने फीस बकाया होने के कारण उसे परीक्षा से बाहर कर दिया और अपमानित किया। यह दिल दहला देने वाली घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या यही है हमारी “नई शिक्षा नीति”? क्या यही है वह “समावेशी भारत”, जहां हर बच्चा शिक्षा का अधिकार लेकर पैदा होता है?
आज जब हम चाँद पर जा रहे हैं, ए.आई. में तरक्की कर रहे हैं और डिजिटल इंडिया बना रहे हैं, तो क्या हमारी संवेदनाएं मर चुकी हैं? क्या अब शिक्षा केवल अमीरों का अधिकार बनकर रह गई है?
प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को एक कारोबार बना दिया है।
- मनमानी फीस
- बिल्डिंग चार्ज
- यूनिफॉर्म और बुक्स सेंटर के नाम पर लूट
और फिर गरीब बच्चों के आत्मसम्मान को रौंदते शिक्षक और प्रबंधन…
रिया तो अब कभी स्कूल नहीं जाएगी, लेकिन वह सवाल छोड़ गई है — कौन जिम्मेदार है उसकी मौत का?
रिया जैसी हजारों बच्चे और बच्चियाँ कहीं चुप हैं, कहीं टूट रही हैं। कृपया आवाज़ उठाइए, क्योंकि अगली रिया आपके घर की भी हो सकती है।