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हाथरस में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, खंड शिक्षा अधिकारी के निरीक्षण पर फर्जीवाड़े की आशंका

  • रिपोर्ट: प्रतीक वार्ष्णेय

हाथरस: जनपद के संयुक्त उच्च प्राथमिक विद्यालय विसावर-1 में एक निरीक्षण रिपोर्ट ने शिक्षा विभाग की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गहरे प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। खंड शिक्षा अधिकारी आलोक प्रताप श्रीवास्तव द्वारा 10 अप्रैल 2024 को किए गए निरीक्षण में विद्यालय के 26 में से 25 शिक्षक/कर्मचारी को अनुपस्थित बताया गया था।

हालांकि, यह रिपोर्ट तब संदिग्ध बन गई जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, हाथरस द्वारा 20 अप्रैल को जारी पत्र में स्पष्ट किया गया कि प्रेरणा पोर्टल पर उस दिन कोई भी शिक्षक अनुपस्थित दर्ज नहीं था। इस विरोधाभास ने पूरे मामले को संदेह के घेरे में ला खड़ा किया है।

Questions raised on the functioning of the education department in Hathras, suspicion of fraud during inspection by the block education officer

 

डिजिटल बनाम फिजिकल रिकॉर्ड में टकराव
खंड शिक्षा अधिकारी की ऑफलाइन निरीक्षण रिपोर्ट और प्रेरणा पोर्टल के डिजिटल उपस्थिति आंकड़ों में स्पष्ट विरोधाभास से यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि—

  • क्या शिक्षकों को जानबूझकर अनुपस्थित दिखाया गया?
  • क्या यह किसी तरह का मानसिक दबाव या वेतन रुकवाने की कोशिश थी?
  • क्या यह शासनादेशों की खुली अवहेलना नहीं है?

उल्लेखनीय है कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा पहले ही यह निर्देश दिया जा चुका है कि शिक्षक उपस्थिति की जांच केवल ऑनलाइन माध्यम (प्रेरणा पोर्टल) से ही मान्य मानी जाएगी। इसके बावजूद, खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा ऑफलाइन निरीक्षण कर उस पर कार्यवाही की अनुशंसा किया जाना अपने आप में विवादास्पद है।

Questions raised on the functioning of the education department in Hathras, suspicion of fraud during inspection by the block education officer

 

जनप्रतिनिधियों और शिक्षकों ने उठाई निष्पक्ष जांच की मांग
स्थानीय शिक्षक संगठनों, जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों ने पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग की है। मांग की गई है कि—

  • खंड शिक्षा अधिकारी की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच हो।
  • यदि रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा सिद्ध होता है, तो उनके विरुद्ध तत्काल निलंबन व विभागीय कार्यवाही की जाए।
  • शिक्षकों को अनावश्यक मानसिक प्रताड़ना से बचाया जाए।
  • शिक्षा व्यवस्था को राजनीतिक व प्रशासनिक हस्तक्षेप से मुक्त किया जाए।

 

Questions raised on the functioning of the education department in Hathras, suspicion of fraud during inspection by the block education officer

प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
मामले को उठे कई दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन या बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। इससे आमजन में यह भावना बलवती हो रही है कि कहीं इस मामले को दबाने की कोशिश तो नहीं हो रही?

निष्कर्ष:
शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में पारदर्शिता, ईमानदारी और तकनीकी आधारित प्रक्रिया की अपेक्षा की जाती है। ऐसे में इस प्रकार की दो विरोधाभासी रिपोर्टें केवल व्यवस्था की खामियों को ही उजागर नहीं करतीं, बल्कि बच्चों के भविष्य पर भी गंभीर प्रश्न खड़ा करती हैं।

अब देखना यह है कि शासन और प्रशासन इस संवेदनशील मामले में क्या रुख अपनाते हैं।

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