शास्त्री ब्रिज पर हर रात ओवरलोड ट्रकों का खेल: कैमरे में कैद हुआ भ्रष्टाचार, पुलिस की मिलीभगत उजागर
नियमों की बोली लग रही है, शास्त्री ब्रिज पर अवैध वसूली, पर हो रहे ओवरलोड ट्रक

- रिपोर्ट: चंदन दुबे
▶ प्रशासन दिन में दिखावा और रात में धंधा चला रहा है
▶ क्या ‘नियमों’ की भाषा सिर्फ आम जनता के लिए है और ट्रक वालों के लिए ‘डील’ की भाषा
▶ क्या महाकुंभ की सख्ती भी ‘रुपयों की ढील’ के आगे झुक गई
मिर्जापुर: एक ओर सरकार महाकुंभ के चलते यातायात को सुचारु रखने के लिए सख्त नियमों को लागू कर रही है, तो वही ओवरलोड वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन दूसरी ओर, मिर्जापुर के शास्त्री ब्रिज और नटवा पुलिस प्रशासन की खास मेहरबानी से यह आदेश सिर्फ कागजों तक सीमित दिख रहा है।
हर रात ओवरलोड ट्रकों की लंबी कतारें, सरकारी आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए, बेखौफ शास्त्री ब्रिज पार कर रही हैं। यह खेल सिर्फ गाड़ियों की आवाजाही का नहीं, बल्कि पुलिस-प्रशासन और भ्रष्टाचार के गहरे गठजोड़ का सीधा उदाहरण है।
महाकुंभ के मद्देनज़र ओवरलोड वाहनों पर रोक के सरकारी आदेश किस तरह ताक पर रखे जा रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण शास्त्री ब्रिज पर देखा गया, जहां हर रात ओवरलोड गाड़ियों को बेखौफ पार कराया जा रहा है। पत्रकारों के कैमरों में कैद हुए ये दृश्य प्रशासनिक भ्रष्टाचार की पोल खोलने के लिए काफी हैं। सवाल यह उठता है कि जब सरकार ने स्पष्ट रूप से ओवरलोड ट्रकों पर रोक लगा रखी है, तो फिर यह खेल किसके इशारे पर चल रहा है।
रात के अंधेरे में, जब शहर गहरी नींद में होता है, तब नटवा पुलिस चौकी के संरक्षण में ओवरलोड गाड़ियां शास्त्री ब्रिज से गुजरती हैं। हमारे पास उपलब्ध वीडियो में साफ दिख रहा है कि किस तरह पुलिस की मिलीभगत से नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जहां समझा जा सकता है कि इस भ्रष्ट तंत्र में शामिल अधिकारी अपनी जेबें भरने के लिए न केवल सरकारी आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं, बल्कि पुल की क्षमता और सड़क सुरक्षा को भी दांव पर लगा रहे हैं।
महाकुंभ के लिए ट्रैफिक प्लान या रिश्वत की योजना
सरकार और प्रशासन ने जब स्पष्ट आदेश दिए कि ओवरलोड ट्रक प्रतिबंधित रहेंगे, ताकि कुम्भ के दौरान जाम की स्थिति न बने। लेकिन जब ‘व्यवस्था’ खुद ही बेईमानी पर उतर आए, तो आदेशों का मखौल बनना तय है। क्यों कि बता दे यह पहला मौका नहीं है जब मिर्जापुर में इस तरह का खेल सामने आया हो।क्यों कि इससे पहले भी कई बार आदेश की धज्जियां उड़ती हुई देखी गई है ओवरलोड वाहनों की धड़ल्ले से आवाजाही की शिकायतें आई हैं, लेकिन हर बार प्रशासन की नींद तब ही खुलती है, जब कैमरों में सच्चाई कैद हो जाती है या कोई बड़ा हादसा घटित हो जाए। क्योंकि इससे पहले शास्त्री ब्रिज पर ऐसे ही एक फरमान को ठुकराया गया था जहां एक शास्त्री ब्रिज पर दिशा निर्देश के लिए लगाए गए बोर्ड को ओवरलोड भारी वाहन ने तोड़ते हुए क्षतिग्रस्त कर दिया था। जिसकी कहानी अखबारों के पन्नों में देखने को मिल जाएगा।
पुलिस की नाक के नीचे ‘रात का कारोबार
भ्रष्टाचार के नाव के मझधार के खेवइया बने स्थानीय पुलिस प्रशासन अपने समयअनुसार ओवरलोड गाड़ियों को पार करवाते हैं। वैसे इस तस्वीर में आप जो देख रहे है वह शास्त्री ब्रिज पर सोमवार कल की रात 2:00 बजे के बाद ओवरलोड ट्रक को आराम से पार कराए जा रहे हैं, और यह सब नटवा पुलिस चौकी की ‘निगरानी’ में हो रहा है। यह भ्रष्टाचार की वो ‘खास नीति’ है, जिसमें नियमों को पैसों के तराजू में तौला जाता है। जहां आप यह सवाल कर सकते हैं की क्या प्रशासन इस खुली लूट पर कोई जवाब देगा/ तो जवाब आएगा अभी जांच करने पर ही खुलासा होगा या जांच चल रही है जांच पूरी होने पर जवाब देंग या फिर हमेशा की तरह एक ‘जांच कमेटी’ बनाकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
अब सवाल यह है कि जब मीडिया के पास सबूत हैं, जनता की आंखों के सामने यह गोरखधंधा चल रहा है, तो फिर जिम्मेदार अधिकारी क्यों चुप हैं? क्या मिर्जापुर प्रशासन की आंखों पर भ्रष्टाचार की पट्टी बंधी हुई है, या फिर यह पूरा सिस्टम ही इस धंधे का हिस्सेदार बन चुका है।
अब कौन लेगा जिम्मेदारी
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन की तैयारियों को लेकर आए आदेश के बाद ऐसी कोई तस्वीर देखी जा चुकी है जो सरकार की गरिमा को धूमिल करने के लिए कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से किया जा रहा है, वही मिर्जापुर के उच्च अधिकारियों की दिन रात की जनहित में किया जा रहे कार्यों को इस तरीके की प्रशासनिक ढील और भ्रष्टाचार इस पवित्र आयोजन की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं। सवाल यही है—क्या मिर्जापुर प्रशासन अब भी कार्रवाई करेगा या फिर सरकारी आदेशों यूं ही धूल चटती रहेगी। क्यों कि “सरकार सख्त, मगर प्रशासन में कुछ लोग ढीले।”
सरकार ने महाकुंभ के दौरान किसी भी अव्यवस्था से बचने के लिए बड़े-बड़े दावे किए हैं, लेकिन अगर प्रशासन की यह भ्रष्ट कार्यशैली जारी रही, तो आने वाले समय में यातायात प्रबंधन पूरी तरह ध्वस्त हो सकता है।अब देखना यह है कि—
⚡ क्या उच्च अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई करेंगे?⚡ या फिर सच में यह खबर भी फाइलों में दफन होकर रह जाएगी?⚡ क्यों कि कहते हैं ना तस्वीर कभी झूठ नहीं बोलता क्योंकि यहां पर जो देखा जा रहा है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि मिर्जापुर के शास्त्री ब्रिज पर “नियमों की बोली लग रही है।