मिर्जापुर के मनोज जायसवाल के अवैध कब्जा का खेल, प्राचीन कुआँ और मंदिर पर कब्जा, प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

- रिपोर्ट: चंदन दुबे
मिर्जापुर: अजी जनाब वह कहावत है ना की हर कहानी की तस्वीरों अपनी दास्तान बयां करती है, तो बताते चले की कहानी यह है कि जो इस कहावत से आप को समझ में आ जाएगा कहते है कि —सरकारी जमीन और बहती गंगा में जो हाथ न धोए, उसे दुनिया मूर्ख समझती है! तो आप समझ गए होंगे कि शीर्षक क्या है और भूमिका में कौन है नहीं समझे तो आई चलिए डिस्केप्शन में बताते है। मामला मीरजापुर के लालडिग्गी रोड पर नगर पालिका की जमीन पर स्थित प्राचीन कुआँ और मंदिर पर अवैध कब्जे के खेल का है जो एक बार फिर शुरू हो गया है। जनता में आक्रोश है, हिंदू युवा वाहिनी मोर्चा संभाल रही है, लेकिन वही जिम्मेदार प्रशासन मौन साधे बैठा है।चुकी जहां सवाल उठता है कि यह चुप्पी क्या किसी बड़े खेल की ओर इशारा कर रही है या फिर किसी खास दबाव में सुनियोजित व्यवस्था मंसूबे का इकराम है?
प्राचीन धरोहर के प्रति आस्था हिंदू युवा वाहिनी ने उठाया आवाज
नगर पालिका की भूमि पर स्थित यह प्राचीन कुआँ और मंदिर वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है। लेकिन कुछ वर्ष पहले इस स्थल को जबरन बंद कर दिया गया और मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया प्राचीन धरोहर पर अवैध कब्जा का यह खेल यहां के एक स्थानीय का है।, यहां के स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस जमीन पर अब एक भूमाफिया दबंग मनोज जायसवाल, पुत्र रमेश जायसवाल ने अवैध कब्जा जमा लिया है और इसे अपने निजी हितों के लिए इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि यह मामला पुनरावृति का भी है। जहां यह कहने से गुरेज नहीं है सकता कि प्रशासन की निष्क्रियता: मूकदर्शक बनी व्यवस्था पर ही अपराध और अशांति का कारण होता है। बताते चलें कि यह पहली बार नहीं है जब इस स्थान पर अतिक्रमण हुआ है। लगभग दो वर्ष पूर्व नगर पालिका प्रशासन अधिशाषी अधिकारी अंगद गुप्ता ने बुलडोजर चलाकर अवैध निर्माण को हटवाया था, लेकिन अब फिर से वही कब्जा जम गया है। प्रशासन की भूमिका किसी ऐसे चौकीदार जैसी नजर आ रही है जो लूट होते देख रहा है, लेकिन आंखें मूंदे बैठा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस बार प्रशासन ने न केवल चुप्पी साधी है, बल्कि अतिक्रमण को बढ़ावा देने की भूमिका निभा रहा है।
हिंदू युवा वाहिनी की हुंकार, संघर्ष की चेतावनी
इस मामले में हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता रीगन जायसवाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को व डीएम,एसपी मिर्जापुर को भी संबोधित ज्ञापन सौंपा है और त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने जिम्मेदार विभागी प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि समय रहते अवैध कब्जा नहीं हटाया गया तो संगठन बड़ा आंदोलन करेगा। यह मामला केवल भूमि हड़पने का नहीं है, बल्कि धार्मिक आस्था से भी जुड़ा हुआ है, इसलिए प्रशासन को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
जनता की नाराजगी: प्रशासन के खिलाफ बिगुल
वही स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि प्रशासन उचित कदम नहीं उठाता, तो वे भी आंदोलन का हिस्सा बनने को मजबूर होंगे। कहावत है—जब पानी सिर से ऊपर चला जाए, तो उबाल आना लाजमी है। जनता का गुस्सा भी अब इसी दिशा में बढ़ रहा है। वे मानते हैं कि यह केवल एक मंदिर और कुएं की बात नहीं है, बल्कि कानून और न्याय की साख भी दांव पर लगी है। यदि सरकारी भूमि पर इस प्रकार अवैध कब्जा जारी रहा, तो कानून-व्यवस्था का क्या होगा?
क्या अब जागेगा प्रशासन?
वही अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन इस गंभीर मामले पर कदम उठाता है। क्या यह अवैध कब्जा फिर से हटाया जाएगा, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? स्थानीय नागरिकों को उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस मुद्दे का समाधान निकालेगी और धार्मिक स्थलों को पुनः संरक्षित करेगी। लेकिन अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो जनता का आक्रोश किसी बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।