घरेलू गैस सिलेंडरों की हो रही है कालाबाजारी, जिम्मेदार अधिकारी कुर्सी तोड़ रहे हैं, राजस्व का हो रहा घोटाला
ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन ने मिर्जापुर में खोली गैस माफिया और तंत्र की मिलीभगत की परतें, मांग उठी—कब जागेगा सिस्टम?

- रिपोर्ट: चन्दन दुबे
मिर्ज़ापुर: देश में जिस घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर को जनता की रसोई की गरिमा माना गया था, अब वही सिलेंडर जिम्मेदार अफसरों की नींद हराम करने की बजाय उन्हें गहरी नींद सुला रहा है। ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन ने मिर्जापुर में आयोजित प्रेस वार्ता में जो खुलासे किए हैं, वह किसी मामूली लापरवाही नहीं बल्कि सुनियोजित लूट, सुरक्षा से खिलवाड़ और सरकारी खजाने की चोरी का खुला प्रमाण हैं।
60% घरेलू सिलेंडरों का हो रहा व्यावसायिक और अवैध इस्तेमाल
फाउंडेशन के जनसंपर्क अधिकारी अक्षय मिश्रा ने बताया कि आज देश में 60 प्रतिशत घरेलू सिलेंडरों का उपयोग गैरकानूनी रूप से व्यावसायिक जगहों और वाहनों में किया जा रहा है। यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि ब्लास्ट और जानलेवा हादसों की संभावनाओं को भी न्योता देता है।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “14.2 किलोग्राम वाले सिलेंडरों का 35 प्रतिशत और 16 किलोग्राम सिलेंडरों का 25 प्रतिशत तक कच्चे बिलों के जरिए व्यापारिक उपयोग में लाया जा रहा है।
खतरे की गाड़ी पर सवार है एलपीजी वाहन
मिश्रा का दावा है कि 70 फीसदी ऑटो चालक घरेलू सिलेंडर से पंप के ज़रिए गाड़ियों में गैस भर रहे हैं, जबकि ऑटो एलपीजी पंपों से केवल 30 प्रतिशत गैस ही अधिकृत रूप से बेची जाती है।
वो कहते हैं, “आज ऑटो एलपीजी 52 रुपये लीटर बिक रही है, माइलेज अच्छा है, लेकिन जुगाड़ से भरी जा रही यह गैस किसी भी दिन हादसे की चिंगारी बन सकती है।”
सिर्फ खपत नहीं, बल्कि सरकार को लग रहा जीएसटी का चूना
फाउंडेशन के सदस्य विनय पांडेय ने आंकड़ों के जरिए समझाया कि घरेलू सिलेंडर पर सिर्फ 5% जीएसटी है, जबकि कमर्शियल और ऑटो एलपीजी पर 18% टैक्स लागू है। ऐसे में जब घरेलू सिलेंडर का कमर्शियल इस्तेमाल हो रहा है, तो इसका मतलब है — सरकार को करोड़ों का जीएसटी चूना।
उज्ज्वला योजना में भी खामोश घोटाला!
फाउंडेशन का कहना है कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थी पूरे 12 सिलेंडर नहीं ले रहे, जिससे वितरक इन्हीं अधूरे सिलेंडरों को अन्य जगहों पर खपाकर अवैध मुनाफा कमा रहे हैं। यानी गरीबों के नाम पर शुरू हुई योजना, अब अमीरों और अफसरों की खैरात बन चुकी है।
QR कोड ट्रैकिंग से रुकेगा गोरखधंधा?
ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन ने स्पष्ट मांग रखी है कि हर घरेलू गैस सिलेंडर पर क्यूआर कोड आधारित ट्रैकिंग अनिवार्य की जाए, जिससे उसकी वास्तविक उपयोगिता और स्थान की निगरानी संभव हो सके। “जब बैंक की हर ट्रांजैक्शन ट्रैक हो सकती है, तो गैस सिलेंडर क्यों नहीं?” सवाल उठाया गया।
प्रशासन बना मौन दर्शक, हादसे दे रहे दस्तक
एक तरफ देश की सड़कों पर टैंकरों से गैस चोरी हो रही है, दूसरी ओर 10 वर्षों में एलपीजी से जुड़ी 6.7 बड़ी दुर्घटनाएं और 65 मौतें हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन सिर्फ प्रेस रिलीज़ और कागजी कार्रवाई में व्यस्त है। सतर्कता समितियां बनी हैं लेकिन उनकी कुर्सियों पर भी अब जाले लग चुके हैं।
जनता की रसोई में चोरी, अफसरों के कमरे में चुप्पी…!
- यह सवाल अब मिर्जापुर की सड़कों से दिल्ली की दहलीज तक गूंजना चाहिए।
- “क्या सरकार को करोड़ों के टैक्स नुकसान और लोगों की जान से बड़ा कोई निजी स्वार्थ है?”
- जब तक प्रशासन जागेगा, शायद तब तक एक और सिलेंडर फटेगा, एक और जीवन उजड़ेगा।