डायरिया: रोकथाम ही सबसे बेहतर इलाज – सीएमओ डॉ. एन.बी. सिंह
ओआरएस और ज़िंक से करें बचाव, बच्चों की सेहत में लाएं सुधार

- रिपोर्ट: अनुराग सिंह बिष्ट
लखनऊ: जनपद में डायरिया रोको अभियान की शुरुआत हो चुकी है, जो आगामी 31 जुलाई तक चलेगा। इसी क्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में डायरिया प्रबंधन पर एक विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें पाँच वर्ष तक के बच्चों में डायरिया के कारण, लक्षण, बचाव और उपचार को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एन.बी. सिंह ने कहा,
🗣️ “रोकथाम, उपचार से कहीं बेहतर है। यदि सही समय पर सावधानी बरती जाए तो डायरिया से बचाव पूरी तरह संभव है। खासकर बरसात के मौसम में डायरिया के मामलों में वृद्धि होती है, इसलिए ‘स्टॉप डायरिया अभियान’ की शुरुआत की गई है। हमें समुदाय को डायरिया के लक्षणों, रोकथाम और उपचार के प्रति जागरूक करना होगा।”
बच्चों के लिए सबसे जरूरी है सतर्कता:
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान (जिला महिला अस्पताल, रानी अवंतीबाई) ने कहा कि डायरिया थोड़ी सी लापरवाही से जानलेवा बन सकता है। शरीर में पानी और लवण की कमी इसके सबसे बड़े दुष्प्रभाव हैं।
उन्होंने बताया:
- डायरिया होने पर तुरंत ओआरएस का घोल और ज़िंक की गोली दें।
- छह माह तक के बच्चों को केवल स्तनपान कराएं।
- बड़ों को चाहिए कि वे बच्चों को साफ पानी साफ बर्तन में दें, और खाने में साफ-सुथरे कटोरी-चम्मच का प्रयोग करें।
- बासी या बाहर का खाना, बिना धुले फल और कच्ची सब्ज़ियाँ न दें।
डॉ. सलमान ने हाथ धोने के लिए SUMAN-K (सीधा, उल्टा, मुट्ठी, अंगूठा, नाखून, कलाई) फॉर्मूले के उपयोग की सलाह दी और बताया कि यह संक्रमण को फैलने से रोकता है।
डायरिया के लक्षणों पर ध्यान दें:
- दिन में तीन से चार बार पानी जैसा मल आना
- मल में खून आना
- त्वचा की चुटकी धीरे से वापस आना
- धंसी आंखें, सुस्ती या अचेत होना
उन्होंने जोर देकर कहा कि डायरिया के दौरान खाना बंद न करें, बल्कि ओआरएस के साथ भोजन जरूर दें और ज़रूरत पड़ने पर स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं। रोटा वायरस का टीका भी बच्चे को अवश्य दिलवाएं।
प्रशिक्षण में प्रमुख अधिकारी रहे शामिल:
इस अवसर पर डॉ. एम.एच. सिद्दीकी (प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य नोडल अधिकारी), डॉ. निशांत निर्वाण (उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी), योगेश रघुवंशी (जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी), सतीश यादव (जिला कार्यक्रम प्रबंधक), विष्णु प्रताप (जिला समुदाय प्रक्रिया प्रबंधक), सीएचसी अधीक्षक, बीसीपीएम और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट रहा – समुदाय स्तर पर जागरूकता बढ़ाकर बच्चों को डायरिया से बचाना।