BIHAR: प्राथमिक स्तर से कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य, शिक्षा विभाग ने तैयार की योजना

राज्य के सभी बच्चों को अब प्राथमिक स्तर से ही कंप्यूटर शिक्षा दी जाएगी। शिक्षा विभाग ने पहली से बारहवीं कक्षा तक कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य रूप से सिलेबस में शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह पहल बच्चों को तकनीकी ज्ञान में दक्ष बनाने और शुरुआती स्तर से ही कंप्यूटर की समझ विकसित करने के उद्देश्य से की जा रही है।
सिलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई
राज्य शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को इस नए सिलेबस को तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में 28 मध्य विद्यालयों में नए सत्र से कंप्यूटर शिक्षा की शुरुआत की जाएगी। इसके साथ ही 28,000 कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी।
कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली पर विचार
यह शिक्षक कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नियुक्त होंगे या बिहार लोक सेवा आयोग शिक्षक भर्ती के चौथे चरण के माध्यम से, इस पर अभी विभागीय चर्चा चल रही है। जल्दी ही इसे लेकर बड़ा अपडेट जारी किया जाएगा। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने हाल ही में प्राथमिक स्तर से कंप्यूटर शिक्षा को मजबूत करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद यह योजना बनाई गई है।
आईसीटी लैब बंद करने की प्रक्रिया शुरू
राज्य के 4000 से अधिक बिल्ड ऑन ऑपरेट (बीओओ) मॉडल पर संचालित आईसीटी लैब इस वित्तीय वर्ष के अंत तक बंद हो जाएंगे। इनमें 142 लैब जिले के स्कूलों में संचालित हो रहे हैं। इन लैब को बंद करने से पहले संबंधित एजेंसी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) लिया जाएगा।
नए मॉडल से लैब संचालन का प्रस्ताव
बंद होने वाले लैब को बिल्ड ऑन ऑपरेट ट्रांसफर (बूट) मॉडल पर पुनः शुरू करने का प्रस्ताव दिया गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक योगेंद्र सिंह ने इसे लेकर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद को पत्र भेजा है। केंद्र सरकार की परियोजना अप्रूवल बोर्ड की बैठक में इस पर चर्चा होनी है।
विभागीय निर्देश
शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को निर्देश दिया है कि जो भी निजी कंपनियां बिल्ड ऑन ऑपरेट मॉडल से लैब का संचालन कर रही हैं, उनका अनुबंध तय समय के भीतर रद्द कर विभाग को सूचित करें।
नए सत्र से लागू होगी योजना
विभागीय सूत्रों की मानें तो प्राथमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगी। यह योजना बच्चों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।