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गौतम अडानी और अडानी ग्रुप पर फिर संकट, SEC ने रिश्वत के आरोपों की जांच तेज की

भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी और उनके ग्रुप पर एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिकी सिक्योरिटी और एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने अडानी ग्रुप पर रिश्वत देने के गंभीर आरोपों की जांच तेज कर दी है। SEC ने भारत सरकार से सहयोग की मांग करते हुए अडानी ग्रुप और उनके अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच में मदद करने को कहा है। इस खबर के बाद बुधवार को अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों को बड़ा झटका लगा है।

भारत सरकार से मदद की अपील
SEC ने भारत के कानून मंत्रालय से आग्रह किया है कि वह इस मामले में अमेरिका को सहयोग दे। अमेरिकी एजेंसी का कहना है कि गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी भारत में रहते हैं और उन्हें कानूनी नोटिस भेजने के लिए भारतीय अधिकारियों की मदद की जरूरत है। SEC ने यह भी कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत भारत में इस मामले की कानूनी प्रक्रिया को पूरी करने के लिए तत्पर हैं।

शेयर बाजार में अडानी ग्रुप को बड़ा झटका
SEC की जांच की खबर के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई।

  • अडानी इंटरप्राइजेज: 4.3% की गिरावट के साथ 2,123.95 रुपये पर आ गया।
  • अडानी ग्रीन एनर्जी: 4.3% गिरकर 860 रुपये के स्तर पर पहुंच गया।
  • अडानी पोर्ट्स: 2.6% की गिरावट के साथ 1,055.25 रुपये पर आ गया।
  • अडानी पावर: 2.5% घटकर 472.50 रुपये पर आ गया।
  • अडानी टोटल गैस: 2.5% की कमजोरी के साथ 564.85 रुपये पर बंद हुआ।
  • अडानी विल्मर: 2.5% गिरकर 250 रुपये के स्तर पर आ गया।

क्या हैं आरोप और SEC की रणनीति?
SEC ने आरोप लगाया है कि अडानी ग्रुप ने अडानी ग्रीन एनर्जी के लिए सरकारी बिजली कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी थी। इसके अलावा, SEC का कहना है कि अडानी ग्रुप ने अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया और अपने भ्रष्टाचार विरोधी उपायों के बारे में झूठी जानकारी दी।

अडानी ग्रुप ने आरोपों को निराधार बताया
अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे “निराधार” बताया है। ग्रुप ने कहा कि वे सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे।

क्या होगा आगे?
SEC की इस कार्रवाई के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। अगर भारत सरकार सहयोग के लिए तैयार होती है, तो अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच और तेज हो सकती है, जिससे उनके कारोबार और निवेशकों पर और असर पड़ सकता है।

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