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लखनऊ: आयुर्वेदिक दवा के नाम पर बड़ा घोटाला, बिना लेबल की दवाएं मरीजों की जान के लिए खतरा

  • रिपोर्ट: राजीव आनन्द

लखनऊ: आयुर्वेदिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच लखनऊ में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। लालबाग स्थित क्षेत्रीय आयुर्वेदिक कार्यालय में लाखों रुपये की आयुर्वेदिक दवाएं पाई गई हैं, जिन पर किसी भी कंपनी का नाम, निर्माण तिथि या एक्सपायरी डेट तक दर्ज नहीं है। यह मामला न सिर्फ भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, बल्कि मरीजों की जान के साथ भी खुला खिलवाड़ है।

चिंता की बात यह है कि बिना किसी लेबल या प्रमाणन वाली इन दवाओं के सेवन से मरीजों की सेहत पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि इन दवाओं के नाम पर कहीं कोई जहरीला या नुकसानदायक पदार्थ तो मरीजों को नहीं दिया जा रहा।

मामले की जानकारी के लिए जब क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी राजकुमार यादव से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन उठाना तक मुनासिब नहीं समझा। वहीं, कार्यालय के अन्य कर्मचारियों ने भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार राज्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इस तरह की लापरवाही और संभावित घोटाले से उनके प्रयासों पर सवाल उठने लगे हैं। यह जांच का विषय है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर बिना मान्यता वाली दवाएं सरकारी कार्यालय में कैसे रखी गईं और किसके निर्देश पर इनकी खरीद की गई।

स्वास्थ्य विभाग और शासन को इस मामले की तत्काल जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि दोषियों को सजा मिले और मरीजों की जान के साथ इस तरह का खिलवाड़ भविष्य में न हो।

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