उत्तर प्रदेशताज़ा खबरेंभारत

मिर्जापुर:जिला पूर्ति अधिकारी की कुर्सीतोड़ बैठकबाजी से जनता परेशान, अफसरशाही की लापरवाही से लोग दर-दर भटकने को मजबूर

मिर्जापुर हत्या के लिया उकसाने पर जिला पूर्ति अधिकारी पर क्यों ना दर्ज हो मुकदमा

  • रिपोर्ट: चन्दन दुबे

मिर्ज़ापुर: जिले में प्रशासनिक लापरवाही अपने चरम पर है। जनता अपनी समस्याओं को लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है, लेकिन अधिकारी कुर्सी तोड़—बैठकबाजी में ही व्यस्त हैं। यही कारण है कि आम लोगों को अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और यहां तक कि आत्महत्या की धमकी देने तक की नौबत आ रही है।

ताजा मामला जिला पूर्ति कार्यालय से जुड़ा है, जहां लालगंज क्षेत्र के सूरदास फागू हरिजन अपनी बेटी के राशन कार्ड में नाम सुधारने के लिए महीनों से दौड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। प्रशासन की बेरुखी से तंग आकर फागू ने मिर्जापुर आयुक्त कार्यालय पर पत्रकारों और अधिकारियों के सामने आत्महत्या करने की चेतावनी दे डाली।

बताते चले कि मामला क्या है—
मिर्ज़ापुर के ब्लॉक राजगढ़ में पत्रकार पर फर्जी मुकदमे को लेकर ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने पत्रकारों के खिलाफ होने वाले फर्जी मुकदमों के मामले में मिर्जापुर कमिश्नरी आयुक्त कार्यालय पर धरना प्रदर्शन जारी किया जहां प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए । राजगढ़ के पत्रकार राजू पर एक खबर कवरेज करने के चलते षड्यंत्रपूर्वक मुकदमा दर्ज करने के लेकर। राजगढ़ सीएचसी के डॉक्टर पवन कश्यप की प्राइवेट प्रैक्टिस का वीडियो बनाए जाने के मामले में खबर प्रकाशित करने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन जिसे लेकर डॉक्टर ने थाना प्रभारी महेंद्र पटेल से मिलकर राजू के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया। न केवल उनका वीडियो जबरन डिलीट कराया गया, बल्कि उन्हें धमकाकर जमीन पर बैठाए रखा गया। इस घटना के खिलाफ जिले के पत्रकारों ने एकजुट होकर आयुक्त कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया और मुकदमा खत्म करने की मांग उठाई। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों ने पहले कार्रवाई न कारने आश्वासन दिया था, लेकिन अंततः वही हुआ जो आमतौर पर होता है—वादा तोड़ दिया गया और मुकदमा कायम रखा गया।

Mirzapur: People are troubled by the chair breaking meetings of the District Supply Officer, people are forced to wander from door to door due to the negligence of the bureaucracy

जिला पूर्ति अधिकारी पर भ्रष्टाचार आरोप दिव्यांग फागू हरिजन की गुहार, आत्महत्या की चेतावनी
इस धरने के दौरान लालगंज निवासी सूरदास फागू हरिजन भी पहुंचे और अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने बताया कि कई महीनों से वह अपने राशन कार्ड में अपनी बेटी के नाम की गलती को ठीक कराने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन जिला पूर्ति अधिकारी और कोटेदारों की लापरवाही के चलते उन्हें हर बार टाल दिया जाता है। अधिकारियों की बेरुखी से तंग आकर फागू हरिजन ने कमिश्नरी कार्यालय के सामने आत्महत्या करने की चेतावनी दी।

Mirzapur: People are troubled by the chair breaking meetings of the District Supply Officer, people are forced to wander from door to door due to the negligence of the bureaucracy

जिले में जिला पूर्ति अधिकारी की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। जनता को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं, कोटेदार मनमानी कर रहे हैं, और पेट्रोल पंपों तक में अनियमितताएं व्याप्त हैं। क्षेत्र में राशन वितरण में धांधली कोई नई बात नहीं रह गई है, लेकिन अधिकारी अपने दायित्वों से पूरी तरह बेपरवाह हैं।

अब सवाल उठता है कि जब किसी आम आदमी को उकसाने पर धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत मामला दर्ज हो सकता है, तो क्या जिला पूर्ति अधिकारी की लापरवाही और बेरुखी के चलते आत्महत्या की धमकी देने वाले फागू हरिजन के मामले में भी यही कानून लागू होगा? या नहीं । वैसे फागु ने आत्महत्या करने की धमकी दी है अब देखना है कि जिला प्रशासन इसको किस तरीके से देखती है

Mirzapur: People are troubled by the chair breaking meetings of the District Supply Officer, people are forced to wander from door to door due to the negligence of the bureaucracy

सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में अंतर
योगी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था और पारदर्शिता का दावा करती है, लेकिन जिला पूर्ति कार्यालय की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जनता सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए परेशान हो रही है, लेकिन अधिकारी महज औपचारिकताओं में उलझाकर समस्याओं का समाधान करने से बच रहे हैं।

Mirzapur: People are troubled by the chair breaking meetings of the District Supply Officer, people are forced to wander from door to door due to the negligence of the bureaucracy

अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन की इस सुस्ती और लापरवाही का समाधान कौन करेगा? क्या सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएंगी, या फिर अफसरशाही पर नकेल कसने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button