खनन व्यवसायी को धमकाने वाले तीन आरोपी कोर्ट के निशाने पर, पुलिस जांच पर उठे सवाल

- रिपोर्ट: चन्दन दुबे
सोनभद्र: खनन व्यवसायी अरुण यादव को धमकी देने के मामले में न्यायालय ने तीनों आरोपियों को 10 अप्रैल 2025 को पेश होने का आदेश दिया है। हालांकि, इस प्रकरण में पुलिस जांच की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्या पुलिस ने दबाव में आकर जांच में हेरफेर किया, या फिर सिस्टम ने जानबूझकर मामला कमजोर कर दिया?
क्या है मामला?
खनन व्यवसायी अरुण यादव ने थाना ओबरा में इस्तियाक खान, सुधीर श्रीवास्तव उर्फ गणेश और आशीष सिंह उर्फ बाबी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि इन तीनों ने उन्हें धमकी दी और व्यवसाय को नुकसान पहुंचाने की चेतावनी दी। पहले इस मामले में धारा 386 (जबरन वसूली) भी जोड़ी गई थी, लेकिन बाद में पुलिस जांच के दौरान इसे हटा दिया गया। अब सवाल उठ रहा है—क्या यह महज एक कानूनी प्रक्रिया थी, या आरोपियों को बचाने की सोची-समझी रणनीति?
पुलिस जांच पर उठते सवाल
इस मामले में पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है। जानकारों का कहना है कि आरोपियों का आपराधिक इतिहास पहले से लंबा रहा है, इसके बावजूद पुलिस ने मामले को हल्का करने का प्रयास किया। धारा 386 को हटाने के पीछे क्या कोई राजनीतिक या माफिया दबाव था? यह सवाल स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
व्यवसायियों में भय, सिस्टम की निष्क्रियता
खनन माफिया का बढ़ता प्रभाव और पुलिस-प्रशासन की निष्क्रियता अब व्यवसायियों के लिए खतरा बनती जा रही है। अरुण यादव जैसे व्यापारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। क्या न्यायपालिका इस मामले में पुलिस जांच पर सवाल उठाएगी, या फिर मामला राजनीतिक दबाव में और कमजोर हो जाएगा?
आगे क्या?
आरोपियों को 10 अप्रैल 2025 को न्यायालय में पेश होना है। अब देखना यह होगा कि अदालत इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या पुलिस की जांच पर कोई सवाल खड़ा होता है। इस प्रकरण में सिस्टम की कार्यप्रणाली पर गहराते संदेह ने प्रशासन की कार्यशैली को कठघरे में ला दिया है।
सिस्टम की जवाबदेही तय होगी?
इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या कानून व्यवस्था प्रभावशाली ताकतों के आगे झुक गई है, या न्याय प्रणाली इस बार अपराधियों पर शिकंजा कसेगी? 10 अप्रैल को अदालत में होने वाली सुनवाई से यह साफ हो सकेगा कि न्याय की जीत होगी या फिर प्रभावशाली तत्वों की।