₹5000 में ‘इंसाफ़’ बेचने वाला दरोगा!
कटरा कोतवाली के मुकेरी बाजार चौकी इंचार्ज की काली करतूत उजागर— कानून की दलाली, झूठे मुकदमे और ब्राह्मण विरोधी मानसिकता का पर्दाफाश!

- रिपोर्ट: चन्दन दुबे
मिर्जापुर: क्या कानून की वर्दी अब बोली लगाकर बिकने लगी है? क्या ₹5000 में किसी भी निर्दोष को झूठे मुकदमे में फंसाया जा सकता है? कटरा कोतवाली के मुकेरी बाजार चौकी इंचार्ज रहे दरोगा बुधीराम यादव पर जो आरोप लगे हैं, वे न सिर्फ पुलिस महकमे की साख पर बट्टा लगा रहे हैं, बल्कि यह भी बता रहे हैं कि न्याय का मंदिर अब रिश्वत के धुएं में जल रहा है।
झूठे मुकदमे का ‘सुपारी मॉडल’
सूत्रों के अनुसार, बुधीराम यादव ने ₹5000 की ‘सेवा शुल्क’ लेकर एक महिला से झूठा केस दर्ज कराया। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस बैंक खाते को इस केस की नींव बनाया गया, उसकी गहराई से पड़ताल होनी चाहिए। महिला और दरोगा के संदिग्ध संबंधों की परतें अब धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक केस था, या फिर ऐसे कई मुकदमे दर्ज हो चुके हैं
ब्राह्मण विरोधी मानसिकता या कोई साजिश
बुधीराम यादव पर पहले भी पक्षपातपूर्ण रवैये और खास जाति के लोगों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई के आरोप लगते रहे हैं।जहां जांच होने पर इनकी करतूत के कई मामला ब्राह्मण विरोधी मानसिकता का हिस्सा में दिखेगा , जहां यह प्रशासनिक वर्दी के दम पर पर्दे के पीछे से खेल चला रहा है? प्रशासन को चाहिए कि वह इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच करे और देखे कि दरोगा का इस तरह की नीच हरकत की नेटवर्क कितना फैला हुआ है।
सवाल, जो जवाब मांगते हैं— 1. ₹5000 में मुकदमा लिखवाने का यह ‘रेट कार्ड’ कब से लागू है? 2.महिला और दरोगा के बीच की साठगांठ की असलियत क्या है? 3.क्या यूपी पुलिस में ऐसे ही ‘ठेकेदारी मॉडल’ से केस दर्ज किए जाते रहेंगे?
अब देखना यह होगा कि पुलिस महकमा इस मामले में सख्त कार्रवाई करता है या फिर परंपरागत तरीके से आंतरिक जांच’ की फाइलें धूल चाटने के लिए छोड़ दी जाएंगी!