महंगाई और बेरोज़गारी का दंश झेल रहे – मजदूरों को बनाया जा रहा गुलाम: दिनकर कपूर
मजदूरों की यह हुंकार सरकार और पूंजीपतियों की सत्ता को कही हिला न दे श्रम कानूनों पर पूंजीपतियों के मुनाफा, सरकार मजदूरों को दलदल में व गुलामी की जंजीरों में जकड़ रही

- रिपोर्ट- चंदन दुबे
अनपरा, सोनभद्र:
23 फरवरी 2025 को ठेका मजदूर यूनियन के वार्षिक सम्मेलन की तैयारी में मजदूरों की समस्या व सियासत दानों की मृत संवेदनशीलता को लेकर ठेका मजदूर संगठन ने मजदूरों की मेहनत, नेताओं की सियासत और कॉरपोरेटरो की कमाई के त्रिकोण में फंसे देश का श्रमिक वर्ग आज सबसे बदहाल स्थिति में पहुंच चुका है। महंगाई और बेरोज़गारी ने मजदूरों की रीढ़ तोड़ दी है, और वही सरकार की श्रम विरोधी नीतियों ने उन्हें आधुनिक गुलामी की जंजीरों में जकड़ दिया है। जिसे लेकर यूनियन के अध्यक्ष व कार्यकर्ता ने संवेदना जताने के साथ एक निर्णायक फैसला लेकर सरकार की कानों तक आवाज पहुंचने का प्रयास का निर्णय किया है।
मजदूरों की समस्या से संबंधित यूनियन में पहुंचे दिनकर
बताते चले कि— सोनभद्र जिला के अनपरा डिबुलगंज के रोटरी क्लब मैदान में आयोजित ठेका मजदूर यूनियन के 22वें जिला वार्षिक सम्मेलन कार्यक्रम में आए पूर्व श्रम बंधु और एआईपीएफ प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने श्रमिक मजदूरों की दुर्व्यवस्था के मौजूदा माहौल पर सरकार सिस्टम को घेरते हुए —कहा कि कॉरपोरेटर से मिलकर राजतंत्र के जिम्मेदार महंगाई और बेरोज़गारी की दोहरी मार से मजदूरों की रीढ़ शक्ति को तोड़ने खत्म करने की कोशिश कर रहे है। वह जीने के लिए कर्ज के दलदल में धंसते जा रहे हैं, और इसी मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें शोषण और गुलामी के जाल में फंसाया जा रहा है।
श्रमिकों के अधिकारों की हो रही हत्या
दिनकर कपूर ने कहा कि सरकार ने लेबर कोड लागू कर श्रम कानूनों को खत्म करने की साजिश रची है। काम के 12 घंटा करना और ठेका प्रथा को बढ़ावा देना,मजदूरों के शोषण का सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पिछले 10 वर्षों से न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी नहीं हुई, जबकि महंगाई ने आम आदमी का जीना मुश्किल कर दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि औद्योगिक क्षेत्रों में मजदूरों से बेहद कम मजदूरी पर काम कराया जा रहा है, और उन्हें मूलभूत सुरक्षा उपकरण भी नहीं दिए जाते। श्रमिकों को संगठित होने से रोकने के लिए तानाशाही थोपने की कोशिश की जा रही है, और लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंटा जा रहा है।
कॉर्पोरेट टैक्स से सुलझ सकती है समस्या
रोजगार अधिकार अभियान के कोऑर्डिनेटर राजेश सचान ने कहा कि यदि देश के 200 बड़े कॉर्पोरेट घरानों पर संपत्ति और उत्तराधिकार टैक्स लगाया जाए, तो इससे प्राप्त धन से ठेका मजदूर वर्ग को पक्की नौकरी, संविदा कर्मचारियों को सम्मानजनक वेतन और हर नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन देने की व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह टैक्स शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और एक करोड़ खाली सरकारी पदों को भरने और नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा जैसे सवालों को हल किया जा सकता है। इन ज्वलंत मुद्दों को लेकर देशभर के छात्र युवा संगठनों, मजदूर, किसान आंदोलनों और समाज सरोकारी लोगों द्वारा चलाए जा रहे रोजगार अधिकार अभियान से जुड़ने की अपील भी की।
सम्मेलन में उठी मजदूरों की आवाज़
सम्मेलन में यूनियन मंत्री तेजधारी गुप्ता ने एक वर्ष का वार्षिक रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसके बाद हुए सांगठनिक चुनाव में कृपाशंकर पनिका को पुनः अध्यक्ष और तेजधारी गुप्ता को मंत्री चुना गया। तीरथराज यादव उपाध्यक्ष, मोहन प्रसाद संयुक्त मंत्री, मंगरु प्रसाद गोंड प्रचार मंत्री, इंद्रदेव खरवार कोषाध्यक्ष और शेख इम्तियाज कार्यालय मंत्री चुने गए।
सम्मेलन में सामाजिक कार्यकर्ता रामधनी विश्वकर्मा, एआईपीएफ जिला सचिव इंद्रदेव खरवार, युवा मंच की जिला संयोजक सविता गोंड, मजदूर किसान मंच के जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गोंड सहित कई अन्य वक्ताओं ने मजदूरों के हक में अपनी आवाज बुलंद की। जनगीतों के माध्यम से मुनेश्वर पनिका और राजकुमारी गोंड ने कार्यक्रम में क्रांतिकारी जनगीतों से जोश भरा।
मजदूरों की मांग: श्रम अधिकार बहाल करो!
सम्मेलन के दौरान मजदूरों ने न्यूनतम वेतन में वृद्धि, ठेका प्रथा को खत्म करने, श्रमिक सुरक्षा उपकरणों की अनिवार्यता और श्रम कानूनों को मज़बूत करने जैसी मांगें उठाईं। सर्वप्रथम मजदूर संगठनों ने सरकार से निवेदन किया है कि उनकी मांगें पूरी की जाए नहीं तो अन्यथा की दिशा स्थिति हुईं, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर है।वही सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया कि मजदूरों के हक में बड़े पैमाने पर उनसे संबंधित कानून का उन्हें जानकारी जन जागरूक संवाद कार्यक्रम और वैचारिक अभियान चला का जागरूक किया जाएंगे।