ताज़ा खबरेंभारतहेल्थ डेस्क

पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम के 64 संदिग्ध मामले, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

महाराष्ट्र के पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के अब तक 64 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस बीमारी से एक मरीज की मौत हो चुकी है, जबकि 13 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। इन घटनाओं ने स्वास्थ्य विभाग और जनता के बीच चिंता बढ़ा दी है।

क्या है गिलियन-बैरे सिंड्रोम?
गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करती है। इसके कारण कमजोरी, सुन्नता, और कभी-कभी पूर्ण पक्षाघात हो सकता है।

लक्षण:
हाथ-पैरों में कमजोरी और झुनझुनी।
लक्षण तेजी से फैल सकते हैं और गंभीर मामलों में पक्षाघात का कारण बन सकते हैं।
अधिकांश मरीजों को अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होती है।

अब तक क्या जानकारी मिली है?
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, पुणे नगर निगम (PMC) के अधिकारियों ने बताया कि गिलियन-बैरे सिंड्रोम के 64 मामले सामने आए हैं। इनमें से: 13 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। 5 मरीज इलाज के बाद ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। एक मरीज की मौत हुई है। PMC ने कमला नेहरू अस्पताल में 15 आईसीयू बेड की व्यवस्था की है, जहां GBS के मरीजों को मुफ्त इलाज दिया जाएगा।

कारण और बचाव:
1.पुणे नगर आयुक्त डॉ. राजेंद्र भोसले के अनुसार, पानी के सैंपल में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया पाया गया है, जो GBS के एक 2.तिहाई मामलों का कारण बनता है।
3.लोगों को उबालकर पानी पीने और भोजन गर्म करने की सलाह दी गई है।
4.PMC की टीमें पानी के विभिन्न स्रोतों की जांच कर रही हैं।

पहला मामला कैसे सामने आया?
9 जनवरी को पुणे के एक अस्पताल में भर्ती मरीज के लक्षणों से GBS का संदेह हुआ। मरीजों से लिए गए नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया की पुष्टि हुई।

PMC की प्रतिक्रिया
गिलियन-बैरे सिंड्रोम का इलाज महंगा है, लेकिन PMC प्रभावित मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया करा रही है।
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने और किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की अपील की है।
इस बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन सतर्क है और उचित उपाय कर रहा है। जनता को जागरूक रहने और निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button