मां के बिना अधूरी है जिंदगी: मदर्स डे पर याद करें बॉलीवुड के वो डायलॉग्स जो मां की ममता को अमर बना गए

मुंबई: ‘मां’—एक ऐसा शब्द जिसमें पूरी दुनिया समा जाती है। इस बार 11 मई को मदर्स डे मनाया जाएगा, एक ऐसा दिन जब हम अपनी मां को उन तमाम कुर्बानियों, ममता और निस्वार्थ प्रेम के लिए धन्यवाद कहते हैं, जो उन्होंने हमेशा चुपचाप और बिना किसी अपेक्षा के हमारे लिए किया है।
बॉलीवुड ने भी मां और बच्चे के रिश्ते को बड़े परदे पर बखूबी उकेरा है, खासकर अपने भावुक और मार्मिक डायलॉग्स के ज़रिए। आइए मदर्स डे के खास मौके पर फिल्मों के कुछ यादगार संवादों के ज़रिए मां के महत्व को फिर से महसूस करें:
🔹 ‘दीवार’ (1975)
यश चोपड़ा की क्लासिक फिल्म में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के बीच हुआ संवाद आज भी अमर है—
“मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, क्या है तुम्हारे पास?”
जवाब आता है— “मेरे पास मां है।”
यह डायलॉग मां की मौजूदगी को जीवन की सबसे बड़ी पूंजी बताता है।
🔹 ‘देवदास’ (2002)
संजय लीला भंसाली की इस भव्य फिल्म में शाहरुख खान का डायलॉग दिल को छू जाता है—
“मां के दिल को दुखाकर आज तक कोई खुश नहीं रहा।”
यह संवाद मां के दिल की संवेदनशीलता और अहमियत को दर्शाता है।
🔹 ‘कोई मेरे दिल से पूछे’ (2002)
फिल्म में एक मार्मिक डायलॉग है—
“जिसके पास मां है उसके पास सब कुछ है, जिसके पास मां नहीं उसके पास कुछ भी नहीं।”
यह संवाद मां के बिना जिंदगी की अधूरी तस्वीर को बयां करता है।
🔹 ‘एयरलिफ्ट’ (2016)
अक्षय कुमार की इस फिल्म में एक डायलॉग है जो हर किसी के दिल को छू जाता है—
“चोट लगती है न तो आदमी मां ही चिल्लाता है सबसे पहले।”
यह संवाद दर्शाता है कि मां ही वो शख्स है जिसे हम हर पीड़ा में याद करते हैं।
🔹 ‘दोस्ताना’ (2008)
किरण खेर का एक डायलॉग दर्शकों के दिल में बस गया—
“एक मां ही जानती है कि उसके प्यारे लाडले को क्या चाहिए।”
यह संवाद मां की भावनात्मक समझ और अंतर्ज्ञान की मिसाल है।
इस मदर्स डे पर इन डायलॉग्स को फिर से याद करते हुए अपनी मां को एक प्यार भरा गले लगाएं, और उन्हें बताएं कि आप उनकी कितनी कद्र करते हैं।